Saturday, September 30, 2023
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Anant Chaturdashi 2023: जानें कब है अनंत चतुर्दशी, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Anant Chaturdashi 2023: हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का पर्व बेहद खास होता है. यह पर्व भाद्रपद माह में अनंत चतुर्दशी को मनाया जाता है. इसमें भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजी की जाती है. इस दिन पूजा के बाद 14 गांठ वाले अनंत सूत्र बांधने का विधान है.

Anant Chaturdashi 2023: पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. इस पर्व को चौदस के भी नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन श्री हरि नारायण भगवान विष्णु की पूजा किया जाता है. साथ ही इसी दिन गणपति विसर्जन भी किया जाता है इसलिए इस पर्व का दोगुना महत्व हो जाता है.

सनातन धर्म में भगवान विष्णु को सृष्टी का संचालक माना जाता है तो वहीं भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है. इसलिए अनंत चतुर्दशी की पूजा और व्रत बहुत फलदायी माना जाता है. माना जाता है कि, अनंत चतुर्दशी की पूजा और व्रत रखने से उस व्यक्ति के जीवन में शुभता आती है साथ ही दुखों का भी नाश होता है. तो चलिए  इस साल कब अनंत चतुर्दशी  है और पूजन विधि की शुभ मुहूर्त कब है जानते हैं.

कब  है अनंत चतुर्दशी  2023-

इस साल यानी 2023 में अनंत चतुर्दशी गुरुवार 28 सितंबर को मनाया जाएगा.

चतुर्दशी तिथि की शुरुआत- 27 सितंबर  2023 रात 10 बजकर 18 मिनट से है.

चतुर्दशी तिथि समाप्त- 28 सितंबर 2023 शाम 06 बजकर 49 मिनट तक रहेगा.

अनंत चतुर्दशी शुभ मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 12 मिनट से शाम 06 बजकर 49 मिनट तक रहेगा.

अनंत चतुर्दशी पूजा विधि-

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत के रूप की पूजा की जाती है. इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत होकर व्रत का संकल्प लें. उसके बाद घर में पूजा करने के लिए पूजा घर की सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें और कलश की स्थापना करें. कलश में एक बर्तन रखकर इसमें कुश से निर्मित अनंत भगवान की स्थापना करें. अगर ये संभव न हो तो आप भगवान विष्णु की तस्वीर भी पूजा के लिए रख सकते हैं. इसके बाद अनंत सूत्र बनाए. इसके लिए एक धागे को कुमकुम, हल्दी से रंगे और इसमें 14 गांठ लगा दें. अब इस सूत्र को अनंत भगवान को चढ़ा दें. ये सब करने के बाद भगवान की पूजा करने के लिए हल्दी फूल, माला नैवेद्य अर्पित करें और अनंत चतुर्दशी का पाठ करें. पूजा समाप्त होने के बाद इस सूत्र को अपने  बाजू में बांध ले.

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