Chhath Puja Paran: सूर्योदय अर्घ्य के साथ संपन्न हुई छठ पूजा! एसे करें पारण, एकसाथ ना खाए ज्यादा खाना

छठ पूजा एकमात्र ऐसी पूजा है जिसमें ना केवल महिलाएं बल्कि पुरुष भी 36 घंटे तक बिना निर्जला उपवास रखते हैं. किसी-किसी परिवार में पती और पत्नि दोनों इस उपवास को करते हैं और साथ मिलकर एक दूसरे और पूरे परिवार की सफलता की कामना करते हैं.

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Courtesy: Social Media

Chhath Puja Paran: सूर्योदय अर्घ्य के साथ छठ महापर्व खत्म हो गया. अब व्रती महिलाएं 36 घंटे के निर्जला व्रत के बाद पारण करेंगी. आज के दिन महिलाएं सुबह-सुबह नदी किनारे घाट पर जाकर उगते सूर्य को अर्घ्य देती है. साथ ही छठी मैया से अपने परिवार की तरक्की और लंबी आयु की कामना करती हैं. वहीं पूरा परिवार भी घाट पर जाकर उगते सूर्य को जल देता है. 

छठ पूजा एकमात्र ऐसी पूजा है जिसमें ना केवल महिलाएं बल्कि पुरुष भी 36 घंटे तक बिना निर्जला उपवास रखते हैं. किसी-किसी परिवार में पती और पत्नि दोनों इस उपवास को करते हैं और साथ मिलकर एक दूसरे और पूरे परिवार की सफलता की कामना करते हैं. हालांकि हर घर में छठ पूजा नहीं होता है, इसे करने के लिए काफी सख्त नियम होते हैं. 

घाट पर खास पूजा

सूर्योदय के साथ आज छठ पूजा भी संपन्न हो गया. आज दिल्ली में सूर्योदय सुबह 6 बजकर 35 मिनट पर हुआ. इससे पहले ही महिलाएं पानी में उतरकर सूर्यदेव का इंतजार कर रही थी. इसके बाद घाट पर ही धूप जलाया जाता है और सभी परिवार पूजा करते हैं. घाट पर ही परिवार के सभी लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं. घाट से ही छठ प्रसाद का बंटना भी शुरु हो जाता है. माना जाता है कि जितना ज्यादा प्रसाद बंटता है उतना ही ज्यादा छठी मैया प्रसन्न होती हैं. व्रती महिलाएं व्रत खोलने के लिए सबसे पहले शरबत पीती हैं. इसके बाद छठी मैया पर चढ़ाया हुआ प्रसाद ठेकुआ और फल खाकर उपवास को खोलती हैं. 

ऐसे करें पारण

छठ पूजा के पारण के दिन घाट के आसपास कई स्टॉल लगाए जाते हैं. कई बार लोग उपवास के बाद तुरंत मसाले वाला खाना खा लेते हैं. जिसकी वजह से उनका तबीयत भी खराब हो जाता है. साथ ही ऐसा पूजा करने का कोई फल नहीं मिलता है. व्रत खोलने के लिए आप पहले घर जाएं और फिर आराम से बैठकर थोड़ा-थोड़ा खाएं. जिससे आपका एपेटाइट जाग जाएगा. इसी के साथ आज छठ का चार दिवसीय त्योहार खत्म हो गया. अब छठ मैया अगले साल कार्तिक मास में फिर आएंगी. इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.
 

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