नहाय-खाय के साथ शुरु हुआ छठ महापर्व, जानें पहले दिन किन नियमों को करना होता है पालन

छठ पूजा आज से शुरू हो चुका है. आज लोग नहाय-खाय मनाएंगे. इस दिन महिलाएं काफी शुद्दता से सात्विक भोजन बनाती हैं. जिसे गंगा जल या फिर किसी नदी में नहाने के बाद ग्रहण किया जाता है. वहीं पूरे परिवार वाले इस खाना को महाप्रसाद के रूप में खाते हैं.

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Courtesy: Social Media

Chhath Puja First Day: छठ पूजा आज से शुरू हो चुका है. आज इस त्योहार का पहला दिन मनाया जाएगा. हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को छठ पूजा का पहला दिन मनाया जाता है. इस दिन व्रत करने वाली सभी महिलाएं काफी पवित्रता से सात्विक भोजन तैयार करती हैं. जिसे पूरा परिवार खाता है. पहले दिन को नहाय-खाय कहा जता है.

इस साल नहाय-खाय 5 नवंबर यानी आज मंगलवार को मनाया जा रहा है. इस दिन से त्योहार की शुरुआत हो जाती है. सभी घर में एक शुद्ध वातावरण बन जाता है. लोगों का आना जाना भी आज से ही शुरू हो जाता है. आज के दिन महिलाएं सन्नान कर के सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं. जिसके बाद कल से 36 घंटे का व्रत शुरु हो जाता है. 

नियमों का सख्ती से पालन

छठ पूजा आखिरकर आ ही गया. बिहार, झारखंड और यूपी के पूर्वी हिस्सों में रहने वाले लोग इस पर्व का बेसर्बी से इंतजार करते हैं. दफ्तर में काम करने वाले लोग भले ही दिवाली की छुट्टी ना ली हो लेकिन छठ में छुट्टी जरुरी है. छठ को कोई त्योहार नहीं बल्कि महापर्व कहा जाता है. इस चार दिवसीय पर्व के दौरान काफी सख्ती से नियमों का पालन किया जाता है. पर्व करने वाली महिलाएं ही नहीं परिवार के सभी सदस्य इन नियमों का पालन करते हैं. काफी शुद्धता के साथ इस पर्व को पूरा करती हैं. पहले दिन नहाय-खाय के दौरान सात्विक भोजन बनता है. जिसमें आमतौर पर बिहार का क्द्दू और दूसरे राज्यों में कहा जाने वाली लौकी की सब्जी बनाई जाती है. इसके भात यानी चावल बनाया जाता है. 

क्या कहता है नियम

छठ पूजा के पहले दिन व्रती महिलाएं जल्दी उठकर गंगा जल से या फिर किसी पवित्र नदीं में सन्नान करती हैं. इसी के साथ महिलाएं सूर्य देव और छठी मैया को ध्यान कर व्रत करने का संकल्प लेती हैं. इसके बाद सूर्य को जल अर्पित कर भगवान को भोग लगाया जाता है. आज के दिन महिलाएं गरीबों को अनाज और कपड़े दान देती हैं. दिन भर गीत गाने के बाद शाम में सूर्यास्त के समय फिर से सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. आज के दिन घर में प्याज और लहसुन पूरी तरीके से बंद हो जाता है. पूरे घर वाले केवल सात्विक भोजन खाते हैं. जिसे मिट्टी से बने चूलहे पर बनाया जाता है. आज महिलाओं के खाना खाने के बाद बाकी सभी घर वाले खाना खाते हैं. आज के खाना को महाप्रसाद कहा जाता है.

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