छठ व्रती महिलाएं आज घाट किनारे डूबते सूर्य की करेंगी पूजा, जानें क्या है संध्या अर्घ्य का शुभ मुहुर्त

छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है. वहीं छठ पूजा के चौथे दिन उगते सूर्यदेव की पूजा की जाती है. दोनों दिन आमतौर पर घर के पुरुष अपने सर बांस की लकड़ी से बना टोकरी उठाकर घाट पहुंचते हैं. जिसमें पूजा का सामान और प्रसाद रखा होता है. उनके साथ पीछे-पीछे घर की महिलाएं छठी मईया के गीत गाते हुए घाट जाती हैं. 

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Courtesy: Social Media

Chhath Sandhya Ardhya: हिंदू धर्म का महापर्व छठ मनाया जा रहा है. आज इस पूजा का तीसरा दिन है. बिहार और झारखंड के लोगों में इस त्योहार को लेकर काफी उत्साह रहता है. छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्यदेव की पूजा की जाती है. जिसके लिए पूरा परिवार नदी किनारे जाते हैं. अगर आसपास में नदी ना रहे तो घर के छत पर पानी को जमा कर रोका जाता है और उसमें गंगाजल और गंगा की मिट्टी को मिलाया जाता है और यहीं से महिलाएं सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं. 

छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है. वहीं छठ पूजा के चौथे दिन उगते सूर्यदेव की पूजा की जाती है. दोनों दिन आमतौर पर घर के पुरुष अपने सर बांस की लकड़ी से बना टोकरी उठाकर घाट पहुंचते हैं. जिसमें पूजा का सामान और प्रसाद रखा होता है. उनके साथ पीछे-पीछे घर की महिलाएं छठी मईया के गीत गाते हुए घाट जाती हैं. 

घर के छत पर सूर्यदेव को अर्घ्य

सूर्यदेव को अर्घ्य नदी में ही दिया जाता रहा है. हालांकि अब बढ़ते प्रदूषण के कारण भी लोग अपने-अपने घरों में ही छत पर पानी के टब या टनल बनाकर उसमें पूजा करते हैं. इस दिन व्रती महिलाएं डूबते सूर्यदेव को अर्घ्य तो देती हैं इसके अलावा घर के सभी सदस्य भगवान सूर्य को जल चढ़ाते हैं. हालांकि कुछ लोग दूध भी चढ़ाते हैं. नियमों के मुताबिक महिलाएं पानी में उतरकर घंटों तक सूर्य के डूबने का इंतजार करती हैं. जैसी ही सूर्यदेव हल्के नारंगी रंग के हो जाते हैं तो वैसे ही महिलाएं सूर्यदेव का अर्घ्य देती हैं और भगवान सूर्य से अपने परिवार के अच्छे स्वास्थ और तरक्की की कामना करती है. 

क्या है संध्या अर्घ्य का शुभ मुहुर्त

छठ के दिन सूर्यदेव को जल चढ़ाना काफी शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन व्रती महिलाओं के अलावा भी सभी लोगों को डूबते सूर्यदेव को जल चढ़ाना चाहिए. ऐसा करने से आप कभी बीमार नहीं पड़ते हैं. साथ ही पानी खड़े होकर सूर्यदेवके मंत्रों को जाप करते रहना चाहिए. इस बार छठ संध्या अर्घ्य का समय  7 नवंबर की शाम 5 बजकर 32 मिनट से शुरु होगा. इसके बाद महिलाएं सूर्यदेव को अर्घ्य दे सकती हैं जबतक वो नजर आ रहे हैं. हालांकि अर्घ्य जल्दी दे लेना चाहिए ताकी आगे की भी पूजा समय से किया जा सके. 

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