हिंदू सनातन धर्म में गंगा नदी को मां का दर्जा दिया गया है। मां गंगा समस्त सांसारिक पापों का हरण करके चित्त को पावन कर देती है। हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को देश भर में गंगा दशहरा मनाया जाता है। हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन मां गंगा भगीरथ की प्रार्थना पर धरती पर अवतरित हुई थी और इसी के उपलक्ष्य में पतित पावनी मां गंगा के लिए हर साल गंगा दशहरा धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा दशहरा पर स्नान के साथ साथ दान का भी बहुत महत्व है और इस दिन जल से जुड़ी वस्तुए जैसे मटका आदि दान किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन लोग अपने पितरों के मोक्ष और शांति के लिए गंगा स्नान के बाद गंगा नदी में तर्पण भी करते हैं जिससे उनके सभी पितरों को जल मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस बार गंगा दशहरा 29 मई को मनाया जा रहा है। गंगा दशहरा की दशमी तिथि 29 मई को दोपहर 11 बजर 29 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 30 मई को दशमी तिथि दोपहर बजकर सात मिनट तक चलेगी। इस दौरान गंगा स्नान करना काफी लाभदायक और शुभ बताया जाता है।
गंगा दशहरा मनाने का कारण
कहा जाता है कि मां गंगा स्वर्ग में रहती थी। राजा भगीरथ ने अपने पितरों के उद्धार के लिए मां गंगा को धरती पर आने के लिए मनाया और सालों तक कड़़ी तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर मां गंगा धरती पर अवतरित हुई और भगीरथ के पितरों का उद्धार करके उनको मोक्ष प्रदान किया। गंगा जब धरती पर आई तो उनका वेग इतना प्रबल था कि धरती उसे संभाल नहीं सकती थी। तब शिवजी ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया और एक धार के रूप में गंगा हिमालय पर उतरी। गंगोत्री में वो स्थान है जहां गंगा पहली बार धरती पर उतरती हैं।
गंगा दशहरा और दस का कनेक्शन
गंगा दशहरा पर श्रद्धालू भाग्योदय और सुख संपत्ति के लिए दस का उपाय करते हैं। क्योंकि ये दशमी का दिन होता है इसलिए गंगा दशहरा और पूजा से जुड़ी हर वस्तु दस की संख्या में ली जाती है। जैसे गंगा मां की पूजा करते वक्त उनको दस फूल अर्पित करना, गंगा मां की आरती के समय दस दीपक जलाना, दस फलों का दान करना और दस अगरबत्ती जलाना। इस दिन पूजा में इस्तेमाल होने वाली हर वस्तु दस की संख्या में हो तो बेहतर कहा जाता है। इस दिन श्रद्धालुओं को पूजा के बाद जो भी वस्तु दान करनी हो, इनकी संख्या भी दस में ही हो तो दशहरे का लाभ मिलता है और पितरों को दशमी तिथि की पूजा का फल मिलता है।
गंगा स्नान ना कर पाएं तो क्या करें
यूं तो गंगा दशहरा पर गंगा स्नान का महत्व बताया गया है लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाता कि हर व्यक्ति गंगा स्नान कर पाए. अगर आप गंगा दशहरा पर गंगा स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो निराश होने की जरूरत नहीं है। आप घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करेंगे तो आपको गंगा स्नान का फल मिल जाएगा। इस दिन शिवजी का गंगाजल से अभिषेक करने पर महादेव काफी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते है।
गंगा मां की पूजा कैसे करें
इस दिन सुबह गंगाजल मिले पानी से स्नान करके शिव भगवान और मां गंगा की पूजा करें। इसके बाद अंजुरी में जल लेकर मां गंगा की आरती करें औऱ उसके पश्चात मां गंगा के लिए इस मंत्र का जाप करें –ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः’ । जो लोग गंगा स्नान कर रहे हैं उनको गंगा में स्नान करते वक्त इस मंत्र का जाप करना चाहिए और इससे मां गंगा पितरों का उद्धार करके उनको मोक्ष प्रदान करती है और सुख संपत्ति की मनोकामना पूरी करती हैं।