Guruwar Vrat : हिंदू सनातन धर्म में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को धरती पर सृष्टि का संचालक माना गया है। जहां ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की, वहीं भगवान विष्णु ने सृष्टि का संचालन किया है। भगवान विष्णु की विधिवत पूजा के लिए गुरुवार यानी बृहस्पतिवार का दिन शुभ माना गया है। मान्यता है कि गुरुवार का विधि विधान से व्रत और पूजा करने पर भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है और इसके साथ ही मां लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है। भगवान विष्णु के लिए गुरुवार का व्रत करने वाले जातक के घर में सदैव सुख शांति और संपन्नता और वैभव का साम्राज्य रहता है और जातक को मोक्ष मिलता है। दूसरी तरफ गुरुवार को ग्रहों के गुरु माने गए बृहस्पति ग्रह का दिन माना गया है। इस दिन व्रत करने पर गुरु ग्रह मजबूत होकर वैवाहिक जीवन को सुखी और सफल बनाने का आशीर्वाद देते हैं और कुंडली में शुभ फल प्रदान करते हैं। चलिए आज जानते हैं कि गुरुवार का व्रत कैसे करना चाहिए और इस व्रत के नियम क्या है। अगर आप भी गुरुवार के व्रत शुरू करना चाह रहे हैं तो इस जानकारी के जरिए आपको गुरुवार के व्रत करने में काफी आसानी होगी।
कितने गुरुवार के व्रत होते हैं लाभदायक
यूं तो गुरुवार के व्रत विषम संख्या में रखे जाते हैं, जैसे एक, तीन, पांच, सात या फिर एक साल के लिए। लेकिन 16 गुरुवार के व्रत सबसे शुभ माने जाते हैं। किसी मनोकामना के लिए अगर गुरुवार के व्रत का संकल्प ले रहे हैं तो 16 गुरुवार के व्रत काफी फलदायी होते हैं। आपको बता दें कि अगर आपको व्रत करना शुरू करना है तो किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार के दिन व्रत का संकल्प लेकर व्रत आरंभ किए जा सकते हैं। अगर आप अनुराधा नक्षत्र वाले गुरुवार से व्रत की शुरुआत कर रहे हैं तो ये बहुत ही शुभ होता है और इससे बृहस्पति देवता की साक्षात कृपा प्राप्त होने के योग बनते हैं। आपको बता दें कि पौष माह में व्रत को आरंभ नहीं करना चाहिए। हालांकि इस दौरान व्रत जारी रखे जा सकते हैं लेकिन पहली बार व्रत कर रहे हैं तो उसे पौष माह से आरंभ ना करें।
गुरुवार के व्रत से मिलती है भगवान विष्णु की कृपा
ब्रह्म पुराण में कहा गया है जो भी व्यक्ति गुरुवार के व्रत करता है उसे भगवान श्रीहरि की साक्षात कृपा प्राप्त होती है। इस दिन व्रत करने के साथ साथ विधि विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर होते हैं और उसे सुख संपत्ति और वैभव के साथ साथ सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।
गुरुवार व्रत में कैसे करें भगवान विष्णु की पूजा
गुरुवार के दिन सुबह नहा धोकर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें। अब एक चौकी पर पीला या लाल वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें। अब आसन पर बैठकर हाथ में गंगाजल लेकर गुरुवार व्रत और पूजा का संकल्प लीजिए और इसके बाद भगवान विष्णु को गंगाजल से अभिषेक कीजिए। अब भगवान विष्णु के समक्ष पान सुपारी, लौंग इलाइची, मिश्री मेवा और केला अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करें। इसके बाद पीले रंग के फल और फूल अर्पित करके पीले ही रंग की मिठाई से भगवान को भोग लगाएं। अब धूप दीप से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती करें। इसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्रम का पाठ करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने में आपको परेशानी या असुविधा हो रही हो तो आप श्रीमद्भगवद्गीता के 11 वीं अध्याय का पाठ कर सकते हैं। इसके बाद परिवार के साथ बैठकर गुरुवार व्रत की कथा को सच्चे मन से सुनना चाहिए।
व्रत में क्या खाना चाहिए
गुरुवार के व्रत में पीली चीजों का सेवन करना चाहिए। इस दिन नमक नहीं खाने की सलाह दी जाती है। इस दिन आप बेसन का लड्डू, बेसन का चीला, बेसन की खीर या फिर बेसन का हलवा बनाकर खा सकते हैं। इस दिन एक ही वक्त का भोजन करना चाहिए और वो भी सात्विक होना चाहिए। इस दिन परिवार के अन्य सदस्यो को भी सात्विक भोजन करना चाहिए। इस दिन रसोई में बैंगन, मूली, सेम की सब्जी का सेवन नहीं करना चाहिए।