Khandit Shivling: सावन का पवित्र महीना शुरू होने वाला जिसमें शिव भक्त बाबा भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना करते हैं. शिव जी की पूजा करने के लिए लोग अलग-अलग मंदिरों में भी जाते हैं. शायद ही कोई ऐसा गांव, मोहल्ला, कस्बा या शहर हो जहां शिव मंदिर ना हो और शिव जी की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित न हो. कई कई मंदिर तो इतने पुराने हैं कि उनका इतिहास महाभारत काल से जुड़ता है तो कुछ का वैदिक काल से.
भारत में आज भी तमाम उन शिव मंदिरों में भी पूजा अर्चना की जाती है जहां आक्रांताओं ने आक्रमण किया और शिवलिंग समेत मंदिर को नष्ट करने का प्रयास किया. आपने भी कई बार देखा होगा की कुछ शिवलिंग खंडित दिखाई पड़ते हैं. कुछ पर आक्रमण के निशान भी दिखते हैं तो कुछ शिवलिंग अपनी प्राचीनता के कारण जर्जर हो चुके हैं.
आपके मन में भी यह सवाल जरूर आया होगा कि क्या खंडित शिवलिंग की पूजा करना उचित है. सनातन वैदिक धर्म में खंडित मूर्तियों की पूजा नहीं की जाती तो फिर मंदिरों में स्थापित प्राचीनतम शिवलिंग जिनमें जर्जरता भी देखने को मिलती है उनकी पूजा क्यों की जा रही है. तो ऐसा इसलिए है क्योंकि शिवलिंग कभी खंडित नहीं होते.
धर्म शास्त्रों में शिवलिंग को खंडित नहीं माना जाता इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि शिवलिंग शिव जी का प्रतीक है ना कि शिव जी की मूर्ति. शिवलिंग निराकार शिव का प्रतीक है इसलिए अगर उसके आकार में कुछ परिवर्तन भी हो गया है तो भी उसे पूया जा सकता है. शिव जी आदि-अनादि के देवता हैं उनका कोई एक निश्चित रूप नहीं है. बाबा के भक्त उन्हें जिस रूप में भी पूजें वे उसे स्वीकार कर लेते हैं.
ध्यान रखें की शिवलिंग कभी खंडित नहीं होता लेकिन शिव जी की प्रतिमा या मूर्ति अगर टूट जाए तो उसे तो से खंडित माना जाता है. टूटी हुई प्रतिमा की पूजा नहीं करनी चाहिए इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं. परंतु शिवलिंग चाहे जैसा हो प्रत्येक स्थिति में वह पूजनीय है.
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