सनातन धर्म में कलावा पहनने का विशेष महत्व है। अधिकतर हिंदू धर्म के लोगों के हाथ में कलावा पाया जाता है। हिंदू धर्म में जितना महत्त्व तिलक लगाने का है उतना महत्त्व मौली या कलावा बांधने का भी होता है। हवन-पूजन या किसी भी शुभ कार्य के समय माथे पर तिलक और हाथ में कलावा जरूर बांधा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि कलावा भगवान का आशीर्वाद होता है ओर हर समय हमारी रक्षा करता है।
धर्म की माने तो कलावा बांधने से त्रिदेवोंके साथ तीनों देवीयां माँ लक्ष्मी, पार्वतॉ और सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे हमारे सारे कार्य निर्विघ्न पूरे होते हैं। कलावा बांधने से सुख-समृद्धि आती है। कलावा स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
आज का युग विज्ञान का युग है और ऐसे में बिना वैज्ञानिक कारण के कोई भी व्यक्ति किसी भी कार्य को नहीं करना चाहता। इसलिए यह जानना बेहद आवश्यक है कि कलावा बांधने के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या है। चलिए आपको बताते हैं कि कलावा बांधने के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या है।
हमारे शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण कलाई में होता है इसलिए कलावे को कलाई में बांधा जाता है। आपने देखा होगा कि जब हम बीमार होते हैं तो चिकित्सक हमारा हाथ छू कर हमारी समस्या का अंदाजा लगा लेता है। आज भी तमाम वैद्य ऐसे हैं जो कलाई पर हाथ रखकर अनेक प्रकार की बीमारियों का अंदाजा लगा लेते हैं। इससे यह स्पष्ट है कि हमारी कलाई से शरीर का गहरा सम्बंध होता है। कलाई की नसें सीधे तौर पर हृदय से जुड़ी होती है। कलाई में मौली या कलावा बांधना एक्यूप्रेशर की तरह काम करता है। कलावा बांधने से हृदय से संबंधित रोग, डायबिटीज़ एवं लकवा जैसे रोगों से बचा जा सकता है।
अगर आप हाथ में कलावा बांधते हैं तो ये बहुत अच्छी बात है लेकिन अगर आप विचार कर रहे हैं कि आपको भी हाथ में कलावा पहनना चाहिए तो बिल्कुल पहने क्योंकि यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है और इसके अनेक लाभ है।