हिंदू पंचाग के अनुसार हर साल 24 एकादशी (अधिकमास के चलते कभी कभी 25 भी)तिथि आती हैं जिनमें भगवान विष्णु के निमित्त व्रत और पूजा पाठ करने का विधान है। एकादशी तिथि को साल की सभी तिथियों से सर्वश्रेष्ठ कहा गया है क्योंकि ये भगवान विष्णु की प्रिय तिथि है। इसका नामकरण भी भगवान विष्णु ने ही किया था औऱ इस तिथि को वरदान है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने वाले के समस्त सांसारिक पाप धुल जाते हैं और उसे भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष प्राप्त होता है। ऐसी ही एकादशी है वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी।
मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन से निकले अमृत को राक्षसों से बचाने के लिए मोहिनी अवतार लिया था और देवताओं को अमृत का पान करवाया था। ब्रह्मपुराण में मोहिनी एकादशी को संसार के समस्त पापों और दुखों का नाश करने वाली एकादशी कहा गया है। इस दिन भगवान विष्णु के लिए विधि विधान से पूजा और व्रत करने पर भगवान विष्णु ना केवल व्रती और उसके परिवार को सुख, सौभाग्य और धन का आशीर्वाद देते हैं बल्कि जातक के पितरों को भी मोक्ष मिलता है। कहा जाता है कि मोहिनी एकादशी के व्रत को सुनने मात्र से जातक सभी तरह के सांसारिक मोह के जाल से मुक्त होकर वैकुंठ में जाने का अधिकारी बनता है।
मोहिनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहुर्त
इस बार यानी 2023 में मोहिनी एकादशी एक मई सोमवार को पड़ रही है। इस दिन पूजा पाठ और व्रत के साथ साथ दान और पुण्य का भी काफी महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की पूजा करनी चाहिए और सांसारिक मोह से मुक्ति की मनोकामना करनी चाहिए। मोहिनी एकादशी पर दान करने से हजार गायों के दान के बराबर पुण्य मिलता है। इस बार मोहिनी एकादशी की तिथि 30 अप्रैल (दशमी)2023 को रात 08 बजकर 28 मिनट शुरू हो रही है और अगले दिन यानी एक मई 2023 को रात 10 बजकर 09 मिनट पर इसका समापन हो रहा है। यानी मोहिनी एकादशी का व्रत एक मई को रखा जाएगा और इसी दिन शुभ मुहूर्त में श्रीहरि की पूजा की जाएगी।
भगवान विष्णु की पूजा का मुहुर्त और व्रत का पारण
आपको बता दें कि मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का शुभ मुहुर्त सुबह 09.00 से सुबह से शुरू हो रहा है और 10.39 बजे तक पूजा की जा सकेगी। एकादशी व्रत के पारण की बात करें तो पारण का समय दो मई को सुबह पांच बजकर 40 मिनट से सुबह आठ बजकर 19 मिनट तक रहेगा। इस दौरान एकादशी का व्रत करने वाले व्रत का पारण कर सकते हैं।
मोहिनी एकादशी की पूजा की विधि
एकादशी तिथि का व्रत कर रहे हैं तो एक दिन पहले यानी कि दशमी तिथि से ही आरंभ माने जाते हैं. इसलिए एकादशी का व्रत करने वाले व्रती को दशमी को भी सात्विक भोजन करना चाहिए। इस दिन रात को पलंग की बजाय धरती पर ही बिस्तर लगाएं। एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करके भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें। भगवान विष्णु को चंदन, रोली का तिलक करें, उन्हें पीले फूल अर्पित करें, पान सुपारी, लौंग इलाइची औऱ तुलसी दल अर्पित करें. इसके पश्चात दीप धूप जलाकर उनकी आरती करें और मां लक्ष्मी की भी आरती करें। इसके पश्चात परिवार के साथ बैठकर मोहिनी एकादशी की व्रत कथा सुनें और शाम के समय तुलसी के सामने दीपक जलाएं. सांयकाल से पहले दान आदि करें और रात्रि में भगवान विष्णु के लिए जागरण जरूर करें।
मोहिनी एकादशी के दिन व्रत के इन नियमों का पालन जरूर करना चाहिए –
एकादशी तिथि के व्रत का नियम दशमी से आरंभ हो जाता है।
इसके साथ ही मां लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए वरना मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं होती है।
इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना निषेध कहा जाता है।
इस दिन चावल, बैंगन, मूली, सेम आदि की सब्जी नहीं खानी चाहिए।
इस दिन किसी के लिए अपशब्द नहीं बोलने चाहिए
इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
इस दिन रात्रि और दिन में सोना नहीं चाहिए बल्कि प्रभु का स्मरण करना चाहिए।
इस दिन अन्न, जल, वस्त्र और जरूरत की चीजों का दान जरूरतमंदों को करना चाहिए।
इस दिन किसी का अपमान नहीं करना चाहिए, इससे व्रत का फल खत्म हो जाता है।
इस दिन किसी से भोजन नहीं मांगना चाहिए।