Nag Panchami 2023: आज नाग पंचमी के मौके पर जानें, पूजाविधि, कथा, स्मरण के फायदे

नागपंचमी का पावन त्योहार श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है. पंचमी तिथि के देवता नाग माने गए हैं. नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा-अर्चना एंव व्रत रखने से लोगों को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है. साथ ही इनकी कथा पढ़ने से भय का विनाश होता है. आपको […]

Date Updated
फॉलो करें:

नागपंचमी का पावन त्योहार श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है. पंचमी तिथि के देवता नाग माने गए हैं. नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा-अर्चना एंव व्रत रखने से लोगों को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है. साथ ही इनकी कथा पढ़ने से भय का विनाश होता है. आपको बता दें कि आज नागपंचमी के साथ-साथ सावन सोमवारी भी है. ये दोनों शुभ संयोग 24 साल बाद देखने को मिल रहा है. सावन का पावन महीना भगवान शिव की अराधना व पूजा के लिए विशेष माना जाता है. नाग देव शिव के आभूषण हैं. आज शिव के साथ नाग देव की पूजा करना अधिक फलदायक होगा.

नाग पंचमी की पूजन विधि

नागपंचमी के दिन भगवान भोलेनाथ के प्रिय नाग देवता की पूजा की जाती है. पूजा करने के लिए घर के दरवाजे के दोनों ओर नाग देव की आठ आकृतियां तैयार कर हल्दी, कच्चा दूध, चावल, रोली, फूल, घी, एंव जल चढ़ाकर नाग देवता की अराधना करनी चाहिए. इस दिन एक दिन पहले बने भोजन का भोग लगाने का विशेष नियम है. वहीं मंदिर के शिवालयों में भगवान शिव के गले के आभूषण तांबे के नाग की भी पूजा करनी चाहिए. पूजन के अंत में नाग देवता की आरती करनी चाहिए. पूजा करने के साथ नागपंचमी की कथा भी पढ़नी चाहिए. बताया जाता है कि नागपंचमी के दिन सांपों को दूध पिलाने से पुन्य की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही नागदेवता आपके घर में धन-धान्य भर देते हैं. इस दिन भगवान शिव के रुद्राभिषेक से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

पौराणिक कथा अनुसार

पौराणिक कथा के मुताबिक अर्जुन के पौत्र एंव राजा परीक्षित के पुत्र जन्मजेय ने सर्पों से बदला लेने एंव नाग के वंशों का विनाश करने के लिए एक नाग यज्ञ का आयोजन किया. क्योंकि उनके पिता की मृत्यु तक्षक नामक सांप के काटने से हुई थी. नागों की रक्षा करने के लिए इस यज्ञ को ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने इस यज्ञ पर रोक लगाई थी. उन्होंने सावन की पंचमी के दिन नागों को यज्ञ में जलने से बचाने के लिए जलते हुए शरीर पर दूध की धार डालकर इनको शीतलता दी थी. उसी वक्त नागों के देवता ने मुनि से बताया कि पंचमी के दिन जो भी मेरी पूजा-अर्चना करेगा. मुझे दूध अर्पित करेगा. उसे कभी नागदंश का भय नहीं रहेगा. तब से आज तक पंचमी के दिन नागों की पूजा की जा रही है. वहीं जिस दिन इस यज्ञ को रोका गया था, उस दिन श्रावण महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी. जिसके बाद तक्षक नाग और उसका वंश विनाश होने से बच गया था.