Paush Month: हिंदू कैलेंडर का दसवां महीना पौष शुरू हो चुका है. इस महीने का धार्मिक महत्व बहुत ज़्यादा है. इसे अनुष्ठान, प्रार्थना और दान-पुण्य के लिए बेहद शुभ माना जाता है. इस महीने में ठंड बढ़ने के साथ ही मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखना ज़रूरी हो जाता है. विशेषज्ञों ने संतुलित रहने और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए पौष महीने के दौरान पालन करने के लिए कई परंपराओं और दिशा-निर्देशों की रूपरेखा तैयार की है.
इस महीने में सूर्य की पूजा का महत्व है. वैदिक ज्योतिष में ग्रहों के राजा माने जाने वाले सूर्य की हिंदू पूजा में अहम भूमिका है. कोई भी शुभ कार्य सूर्य (सूर्य देव) सहित पाँच देवताओं के आह्वान से शुरू होता है. विशेषज्ञों के अनुसार सूर्य की पूजा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं और पारिवारिक जीवन में सामंजस्य, सफलता, सम्मान और शांति सुनिश्चित होती है. अगर कुंडली में सूर्य की स्थिति प्रतिकूल है, तो यह कई तरह की सामाजिक और व्यक्तिगत चुनौतियों का कारण बन सकता है.
ऐसा माना जाता है कि ये अनुष्ठान व्यक्ति की आभा और ऊर्जा को बढ़ाते हैं. इसके अतिरिक्त पौष के दौरान नदियों में पवित्र स्नान करने से आध्यात्मिक पुण्य मिलता है और सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं. यह महीना परंपराओं के साथ जुड़ने, आशीर्वाद पाने और प्रार्थना और आत्म-अनुशासन के माध्यम से अपने शरीर और मन को शुद्ध करने का एक दिव्य अवसर प्रदान करता है.
भविष्य पुराण में सूर्य पूजा के महत्व पर प्रकाश डाला गया है. एक बातचीत में भगवान कृष्ण ने अपने पुत्र साम्ब को समझाया कि सूर्य ही एकमात्र दृश्य देवता हैं. जो लोग श्रद्धापूर्वक सूर्य की पूजा करते हैं उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. ज्योतिषियों के अनुसार अथर्ववेद और सूर्योपनिषद दोनों में सूर्य को परम दिव्य इकाई (परब्रह्म) के रूप में वर्णित किया गया है. शास्त्रों में उल्लेख है कि पौष माह के दौरान सूर्य 11,000 किरणों के साथ गर्मी बिखेरता है. जिससे भीषण सर्दी से राहत मिलती है. सूर्य के लाल रंग की तुलना रक्त से की जाती है और इसके दिव्य गुणों में शक्ति, ज्ञान, धन और वैराग्य शामिल हैं. जो सूर्य को देवत्व का अवतार बनाते हैं.