rules of wearing rudraksha: हिंदू सनातम धर्म में रुद्राक्ष को बहुत ही महत्वपूर्ण और पूजनीय कहा गया है। रुद्राक्ष भगवान शिव का ही अंश है। शास्त्रों में कहा गया है कि रुद्राक्ष भगवान शिव आंसुओं से बना है। इसे धारण करने के लिए कई तरह के नियम और कानून बने हैं। माना जाता है कि रुद्राक्ष धारण करने से नवग्रह की स्थिति सुधऱ जाती है और इसके ढेर सारे ज्योतिषीय फायदे हैं। इसे धारण करने पर भगवान शिव की साक्षात कृपा मिलती है और सारे संकट दूर हो जाते हैं। शिव पुराण में कहा गया है कि रुद्राक्ष धारण करने से जातक के सारे सांसारिक पाप समाप्त हो जाते हैं। रुद्राक्ष धारण करने से जीवन में सुख शांति आती है और कुंडली में ग्रहों के अशुभ फल खत्म हो जाते हैं। लेकिन रुद्राक्ष धारण करना और उसकी पवित्रता को बनाए रखना काफी मुश्किल और दुसाध्य होता है। चलिए आज जानते हैं कि रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते हैं और इसे धारण करने के नियम क्या हैं।
रुद्राक्ष कितने प्रकार का होता है –
रुद्राक्ष कई तरह के होते हैं। ये एक मुखी रुद्राक्ष से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष तक मान्य होते हैं और इनकी मान्यता और लाभ को देखते हुए ही जातक को इनमें से कोई एक धारण करने की ज्योतिषीय सलाह दी जाती है।
एक मुखवाला रुद्राक्ष साक्षात् शिव का स्वरूप कहा गया है। इसे धारण करने पर भोग और मोक्ष रूपी फल प्राप्त होता है।
दो मुखवाला रुद्राक्ष देवदेवेश्वर कहा जाता है। इसे धारण करने पर ये संपूर्ण कामनाएं पूरी करने का फल देता है।
तीन मुखवाला रुद्राक्ष जातक को सभी तरह के फल और साधन प्रदान करता है। इसको धारण करने से जातक सभी विद्याओं में पारंगत होता है।
चार मुखवाला रुद्राक्ष साक्षात् ब्रह्मा का रूप कहा गया है। इसे धारण करने पर ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिलने की बात कही गई है।
पाँच मुखवाला रुद्राक्ष साक्षात् कालाग्नि रुद्र रूप कहा गया है। इसे धारण करने पर ये जातक को संपूर्ण और मनोवांछित फल प्रदान करता है।
छह मुखवाला रुद्राक्ष भगवान शिव के मानस पुत्र कार्तिकेय का स्वरूप कहा गया है। इसे सीधे हाथ की बांह धारण किया जाता है।
सात मुखवाला रुद्राक्ष अनंग नाम से जाना जाता है। इसे धारण करनेसे दरिद्रता खत्म हो जाती है और जातक को ऐश्वर्य मिलता है।
आठ मुखवाला रुद्राक्ष अष्टमूर्ति भैरव रूप कहा गया है, इसे धारण करने से जातक को लंबी उम्र मिलती है।
नौ मुख वाला रुद्राक्ष भैरव तथा कपिल मुनि का स्वरूप माना गया है। इसे बाएं हाथ में पहनने की सलाह दी जाती है।
दस मुखवाला रुद्राक्ष साक्षात् भगवान् विष्णु का स्वरूप कहा गया है। इसे धारण करने से जातक की सारी कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
ग्यारह मुखवाला रुद्राक्ष रुद्र रूप कहा गया है। इसे धारण करने से जातक को हर जगह विजय प्राप्त होती है।
बारह मुखवाला रुद्राक्ष आदित्य कहा जाता है। इसे मस्तक या बालों में धारण करना चाहिए।
तेरह मुखवाला रुद्राक्ष विश्वेदेव का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने पर जातक को सभी अभीष्ट प्राप्त होते हैं।
चौदह मुखवाला रुद्राक्ष परम शिवरूप कहा गया है। इसे माथे पर धारण करने पर समस्त पापों का नाश होता है और जातक को मोक्ष प्राप्त होता है।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम –
रुद्राक्ष को सदैव अपने ही धन से खरीदना चाहिए। चोरी का या उधार के धन से खरीदा गया रुद्राक्ष फल नहीं देता। रूद्राक्ष धारण करने से पहले इसे किसी योग्य ज्योतिषी से अभिमंत्रित करवाने के बाद ही धारण करना चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने से पहले इसके लिए बाकायदा पूजा करवानी चाहिए। रुद्राक्ष को धारण करने के बाद मांसाहार, मदिरापान और तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। रुद्राक्ष को कभी भी गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए। रुद्राक्ष पहन कर किसी के अंतिम संस्कार में जाने की मनाही की जाती है वरना ये अशुद्ध हो जाता है और फल नहीं देता। रुद्राक्ष की नियमित तौर पर सफाई करनी चाहिए और इस पर सरसों का तेल भी लगाना चाहिए। रुद्राक्ष पहन कर झूठ नहीं बोलना चाहिए और ना ही किसी से लड़ाई करनी चाहिए। रुद्राक्ष पहनने के बाद नियमित तौर पर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।