Sanatan Dharm History: आचार्य रघुनाथ दास शास्त्री के अनुसार सनातन अर्थात जिसका कोई अंत नहीं, जिसका कोई आदि नहीं. रघुनाथ दास शास्त्री ने कहा कि, सनातन धर्म की उत्पत्ति कब हुई? इस पर टिप्पणी करना गलत है. जो भी लोग इस पर प्रश्न उठा रहे उन्हें एक बार सनातन धर्म के बारे में जरूर पढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह एक अकेला धर्म है जो सबकी भलाई के बारे में सोचता है और बात करता है.
हमारे धर्म ग्रंथ वेद, पुराण, उपनिषद, श्रीमद्भागवत गीता और श्रीरामचरितमानस सभी अलग-अलग काल खंडों में लिखे गए हैं और ये सब हमारे आधार ग्रंथ हैं.आचार्य रघुनाथ दास ने आगे कहा कि. सनातन धर्म कभी भी किसी धर्म की आलोचना नहीं करता है वह सभी में समाया हुआ है.
सनातन धर्म का इतिहास-
आचार्य रघुनाथ दास शास्त्री के अनुसार सनातन धर्म अरबों साल पुराना है. इस धर्म में ग्रह नक्षत्र में समाए हुए हैं. उन्होंने कहा कि, काशी ,मथुरा, अयोध्या, माया, काशी-कांची, पुरी, सभी धार्मिक स्थल सनातन धर्म के आधार स्तंभ हैं. आचार्य ने आगे कहा कि, वाल्मीकि रामायण में 64 हजार तीर्थों की गणना की गई है.
चार युग में चार मंदिर की चर्चा की गई है. सतयुग में बद्रीनाथ-केदारनाथ, त्रेता युग में रामेश्वरम द्वापर युग में द्वारकाधीश तथा कलयुग में जगनाथपूरी का उल्लेख हैं. ऐसे में अगर सनातन धर्म का रिश्ता सतयुग से हो तो उस पर सवाल उठाना दुर्भाग्यपूर्ण हैं.
आचार्य रघुनाथ दास शास्त्री ने कहा कि, सनातन धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है और इसी धर्म से अनेक धर्म निकले हैं. ऐसे में अगर कोई इस धर्म पर विवाद करता या इसे समाप्त करने की चेष्टा करता है तो यह उसकी अपनी अज्ञानता ही कही जाएगी क्योंकि सनातन धर्म को समाप्त करना नामुमकिन है.