शिरडी के साईं बाबा की महिमा कौन नहीं जानता है। श्रद्धा सबूरी के रचयिता शिरडी के साईं बाबा हर धर्म और जाति में पूजनीय है। गरीब हो या अमीर, सब उनके आगे सिर नवाते हैं। साईं बाबा सबका भला करते हैं क्योंकि उनकी नजर में सबका मालिक एक है। कहते हैं कि शिरडी के साईं बाबा के व्रत करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और मनोकामना पूरी होने पर भक्त गाजे बाजे के साथ साईं बाबा के दरबार में मन्नतों को पोटली चढ़ाते हैं। चलिए आज जानते हैं कि शिरडी के साईं बाबा के लिए गुरुवार का व्रत कैसे रखा जाता है और साईं बाबा की पूजा कैसे करनी चाहिए।
साईं बाबा के व्रत का संकल्प लिया जाता है
साईं बाबा सब पर कृपा करते हैं। उनका व्रत कोई भी कर सकता है। इनके व्रतों की संख्या विषम होती है जैसे 5, 7, 9 और 11 की संख्या में व्रत रखे जा सकतके हैं। अगर आप किसी खास मनोकामना से साईं बाबा का व्रत शुरू कर रहे हैं तो पहला व्रत गुरुवार से ही शुरू करना चाहिए। बाबा के व्रत में कोई कठिन नियम नहीं है, अगर कोई महिला पीरियड के चलते व्रत नहीं कर पा रही तो वो अगला व्रत कर सकती है। साईं बाबा के व्रत में दिन में व्रती दिन में एक बार भोजन कर सकता है। इसके अलावा दिन में चाय और फल खाए जा सकते हैं। साई बाबा का व्रत फल खाकर भी रखा जा सकता है और आप इस दिन व्रत वाला भोजन भी कर सकते हैं। इस दिन सादा नमक की बजाय सेंधा नमक का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। जो लोग मनोकामना मन में लेकर व्रत करते हैं, वो भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर साईं बाबा के व्रत का उद्यापन करते हैं। उद्यापन यानी आखिरी व्रत के बाद गुरुवार को भक्त साईं बाबा के मंदिर में जाकर मन्नतों वाली पोटली चढ़ाते हैं और बाबा के चरणों में पालक की गड्डियां चढ़ाते हैं। ऐसा करने से बाबा सबका भला करते हैं। इसके अलावा उद्यापन पर पांच सात या ग्यारह गरीबों को भोजन कराकर बाबा का धन्यवाद किया जाता है।
साईं बाबा की पूजा की विधि
गुरुवार के दिन स्नान आदि करने के बाद व्रती को साईं बाबा का घर में सुंदर सा दरबार सजाना चाहिए। इसमें एक चौकी बिछाकर उस पर पीला वस्त्र बिछाएं और इस चौकी पर साईं बाबा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। अब दांए हाथ में गंगाजल और अक्षत लेकर सांई बाबा के व्रत का संकल्प लें और इसके बाद उनको चंदन और रोली आदि का तिलक करना चाहिए। इसके पश्चात साईं बाबा को पीले फूल, पीला वस्त्र अर्पित करें और अक्षत चढ़ाएं. इसके बाद बेसन के लड्डू और अन्य पीली मिठाइयों से बाबा को भोग लगाना चाहिए और दूध से बनी मिठाई अर्पित करनी चाहिए। इसके बाद धूप दीप जलाकर उनकी आरती करनी चाहि। दोपहर के समय पीले फूल और चावल के दाने लेकर परिवार के साथ साईं बाबा की व्रत कथा सुननी चाहिए. कथा सुनने के बाद बाबा के चरणों में ये फूल अर्पित करते वक्त अपनी मनोकामना बाबा के कान में कहनी चाहिए। सांयकाल को साईं बाबा के मंदिर में जाकर मूंग की दाल की खिचड़ी प्रसाद के रूप में बांटनी चाहिए.
साईं बाबा को कैसा भोग पसंद है
साईं बाबा के व्रत में उनको मूंग की दाल की खिचड़ी और बेसन के लड्डू या बूंदी के लड्डू का भोग लगाया जाता है क्योकि ये दोनों ही साईं बाबा के पसंदीदा भोग हैं। गुरुवार होने के नाते पीले और नारंगी रंग के बेसन के लड्डू साईं बाबा को चढ़ाए जाते हैं। साईं बाबा को मूंग की दाल की खिचड़ी बहुत पसंद है। कहते हैं कि जब साईं बाबा द्वारका माई में रहते थे तो वो दाल चावल मांगकर लाते और उनकी खिचड़ी बनाते और आस पास के लोगों को खिलाते। कहा जाता है कि उनकी द्वारका माई में एक बड़ी देगची में हर वक्त खिचड़ी बनती रहती थी और आने जाने वाले इस प्रसाद को पाते थे। इसके अलावा साईं बाबा को बेसन के हलवे और दूध की बनी मिठाइयों का भी भोग लगाया जाता है. बाबा के दरबार में पालक की पत्तियां भी चढ़ाई जाती हैं. बाबा को दूध और दूध से बनी मिठाइयां भी पसंद हैं।