Solar-Lunar Eclipses in 2025: ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो न केवल खगोलशास्त्र के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होती हैं, बल्कि हिंदू धर्म और अन्य संस्कृतियों में इनका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व भी है. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्मा और जीवन का प्रतीक माना जाता है. वहीं चंद्रमा मन और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है. ग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्रमा की स्थिति व्यक्ति की मानसिक स्थिति और स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने का विश्वास है. इसके साथ ही कई पौराणिक कथाएँ भी इन खगोलीय घटनाओं से जुड़ी हुई हैं.
2025 में दो-दो सूर्य और चंद्र ग्रहण लगने वाला है. जिनका विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग प्रभाव होगा. हालांकि किसी भी सूर्य ग्रहण का असर पूरे दुनिया पर नहीं पड़ता है. कुछ ग्रहण केवल कुछ देशों में ही देखने को मिलते हैं. जिसके कारण इसका असर भी केवल कुछ देशों में ही होता है.
आने वाले नए सास 2025 का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च को लगेगा. यह ग्रहण कुछ खास देशों और क्षेत्रों में ही दिखाई देगा. जिसमें बरमूडा, बारबाडोस, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, फिनलैंड, नॉर्वे, जर्मनी, फ्रांस, हंगरी, आयरलैंड, मोरक्को, ग्रीनलैंड, पूर्वी कनाडा, उत्तरी ब्राजील, हॉलैंड, पुर्तगाल, उत्तरी रूस, स्पेन, स्वीडन, पोलैंड, यूक्रेन, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड और पूर्वी अमेरिका का नाम शामिल है. मिल रही जानकारी के मुताबिक यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. इसलिए इसका कोई असर भारत पर नहीं होगा. दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को होने वाला है. यह ग्रहण विशेष रूप से न्यूजीलैंड, फिजी, अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा. भारत में यह ग्रहण नहीं देखा जाएगा और न ही इसका भारत पर कोई प्रभाव होगा. जैसे पहले सूर्य ग्रहण के मामले में हुआ था. वैसे ही इस ग्रहण के दौरान भी सूतक काल का कोई असर नहीं होगा.
चंद्र ग्रहण की बात करें तो 2025 का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को लगेगा. यह ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका, अमेरिका और अंटार्कटिका में दिखाई देगा. दो सूर्य ग्रहणों की तरह ये चंद्र ग्रहण भी भारत में नहीं दिखाई देगा. इसके परिणामस्वरूप सूतक काल भी लागू नहीं होगा. वहीं दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को लगेगा. यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा और इसका प्रभाव भारतीय धरती पर महसूस किया जाएगा. यह ग्रहण रात 9:55 बजे शुरू होगा और 8 सितंबर को सुबह 1:30 बजे तक रहेगा. चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा, इसलिए सूतक काल 9 घंटे पहले यानी 7 सितंबर की शाम 12:55 बजे से शुरू हो जाएगा. भारत के साथ ही यह ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड, अमेरिका और अफ्रीका में भी देखा जाएगा.
बता दें कि सूतक काल वह समय होता है जब ग्रहण शुरू होने से पहले विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है. हिंदू धर्म में सूतक काल के दौरान पूजा-पाठ, खाने-पीने और अन्य शुभ कार्यों को निषेध माना जाता है. यह काल ग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए होता है. क्योंकि माना जाता है कि ग्रहण के समय पाप और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव ज्यादा होता है.