Thursday, June 8, 2023
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Tilak benefits and rules: पूजा पाठ के समय क्यों लगाते हैं तिलक, जानिए तिलक लगाने के फायदे और इसके नियम

शास्त्रों में कहा गया है कि माथे पर जिस स्थान पर तिलक यानी टीका लगाया जाता है, उस स्थान पर भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए उनकी पूजा के लिए माथे पर तिलक लगाया जाता है।

Tilak benefits and rules:हिंदू धर्म में हर मांगलिक, शुभ काम के साथ साथ पूजा पाठ में माथे पर तिलक (Tilak) लगाने का नियम है। तिलक को टीका भी कहा जाता है। किसी भी शुभ कामकाज के समय माथे पर रोली, चंदन (chandan), हल्दी या फिर सिंदूर से तिलक लगाया जाता है और इसे बहुत ही शुभ कहा जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि माथे पर जिस स्थान पर तिलक यानी टीका लगाया जाता है, उस स्थान पर भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए उनकी पूजा के लिए माथे पर तिलक लगाया जाता है। आपको बता दें कि तिलक लगाने का केवल धार्मिक उद्देश्य ही नहीं होता, इसके कई तरह से वैज्ञानिक फायदे भी होते हैं। चलिए आज जानते हैं कि तिलक लगाने से जातक को क्या क्या लाभ मिलते हैं (Tilak benefits and rules:)औऱ तिलक लगाने के लिए किन नियमों का पालन करना चाहिए

तिलक लगाने के लाभ

जो जातक प्रतिदिन पूजा के बाद अपने माथे पर तिलक करता है, उसे भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।
माथे पर तिलक लगाने से चेहरे पर एक चमक आ जाती है चेहरा खिल उठता है।
माथे पर तिलक करने से मानसिक शांति मिलती है और सकून मिलता है।
माथे पर तिलक लगाने से व्यक्ति को क्रोध आना भी कम हो जाता है।
जो लोग रोज पूजा पाठ के बाद अपने ललाट पर तिलक करते हैं, उनको सिर में दर्द होने की परेशानी खत्म हो जाती है।
माथे पर चंदन का तिलक लगाने से मन मस्तिष्क विचलित नहीं होते हैं और व्यक्ति का दिमाग शांत होता है।
कहा जाता है कि जिस घर में सभी लोग सुबह नहा धोकर भगवान की पूजा करके माथे पर तिलक लगाते हैं, उस घर मे सदैव सुख और शांति बनी रहती है, ऐसे घर में मां लक्ष्मी का वास भी होता है।
माथे पर जिस स्थान पर तिलक लगाया जाता है, उस स्थान को आज्ञा चक्र कहा जाता है। उसी आज्ञा चक्र में तिलक करने से जातक का मन और मस्तिष्क कभी विचलित नहीं होता है।
रोज सुबह नहा धोकर माथे पर तिलक करने से दिमाग मे सेराटोनिन व बीटाएंडोरफिन नामक रसायनों का संतुलन बना रहता है। इससे दिमागी शांति रहती है।

तिलक लगाते वक्त इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए

केशवानन्न्त गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम ।
पुण्यं यशस्यमायुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु ।।
कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम् ।
ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम् ।।

ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः। स्वस्ति नो ब्रिहस्पतिर्दधातु ॥

तिलक करने के नियम

सबसे पहला नियम यही है कि अगर किसी को तिलक कर रहे हैं तो हमेशा दाएं हाथ की अनामिका अंगुली से तिलक लगाएं। तर्जनी उंगली से देवता को तिलक लगाना काफी बुरा माना जाता है।

अगर आप किसी से तिलक लगवा रहे हैं या फिर किसी को तिलक कर रहे हैं तो आपको हमेशा सिर पर कोई वस्त्र जरूर ढकना चाहिए। इससे तिलक पूर्ण माना जाता है।

नियमित तौर पर लगाते हैं तो चंदन का तिलक सबसे अच्छा माना जाता है।
हर गुरुवार को हल्दी और चंदन का तिलक लगाना शुभ होता है और उससे गुरु बृहस्पति की कृपा मिलती है।
पूजा पाठ में सिंदूर और रोली का तिलक लगाना शुभ होता है।
मांगलिक कामकाज में सिंदूर औऱ रोली का तिलक करना चाहिए।

अगर चंदन का तिलक लगा रहे हैं तो सबसे छोटी अंगुली का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
पितृ कार्य के लिए चंदन का तिलक लगा रहे हैं तो उस समय तर्जनी अंगुली का ही प्रयोग करना चाहिए।
अगर पूजा के बाद खुद को ही तिलक लगा रहे हैं तो सदैव मध्यमा उंगली का प्रयोग करना चाहिए।
अगर पूजा के बाद दूसरों के माथे पर तिलक लगा रहे हैं तो सदैव अनामिका उंगली का प्रयोग करना चाहिए।
घर में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्यक्रम में कुमकुम के तिलक का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। ये शुभ माना जाता है।
पितृ संबंधी कार्यक्रम जैसे कि श्राद्ध तर्पण, पितृभोज आदि के दौरान बीच में तिलक नहीं लगाना चाहिए, सदैव पितृ कार्य के अंत में तिलक लगाना चाहिए।

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