Mahakumbh: प्रयागराज में स्थित त्रिवेणी संगम का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व विश्व प्रसिद्ध है. यह वह स्थान है जहां गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों नदियों का मिलन होता है. हिंदू धर्म में यह संगम अत्यंत पवित्र माना जाता है. संगम के दृश्य में गंगा और यमुना स्पष्ट रूप से अलग-अलग दिखती हैं जबकि सरस्वती नदी को अदृश्य माना गया है. इस संगम को लेकर श्रद्धालुओं में काफी विश्वास है. हर बार कुंभ के दौरान लाखों लोग यहां स्नान करने पहुंचते हैं. इस महासंगम में नागा साधु भी स्नान करने पहुंचते हैं.
त्रिवेणी संगम को हिंदू धर्म में तीर्थों का राजा कहा गया है. ऐसी मान्यता है कि इस संगम में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. महाकुंभ, कुंभ और अर्धकुंभ जैसे आयोजनों के दौरान यहां स्नान करने का विशेष महत्व है. शास्त्रों के अनुसार, त्रिवेणी संगम में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और आत्मा शुद्ध होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होती है. साथ ही घर में सुख, समृद्धि का आगमन भी होता है.
महाकुंभ, कुंभ और अर्धकुंभ जैसे आयोजनों के दौरान शाही स्नान की परंपरा निभाई जाती है. शाही स्नान के दौरान विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत विशेष सम्मान के साथ संगम में स्नान करते हैं. यह स्नान ग्रह और नक्षत्रों की विशेष स्थिति के दौरान किया जाता है. इस दौरान जल को चमत्कारी माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से आत्मा शुद्ध होती है और मनुष्य को ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग मिलता है. त्रिवेणी संगम में सरस्वती नदी अदृश्य मानी गई है. हिंदू ग्रंथों में सरस्वती को ज्ञान और विद्या की देवी का प्रतीक माना गया है. माना जाता है कि यह नदी गुप्त रूप से संगम में बहती है और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद प्रदान करती है.
प्रयागराज में इस बार महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालुओं और साधु-संतों के जुटने की संभावना है. यह आयोजन हिंदू धर्म और संस्कृति का एक अद्वितीय प्रतीक है. जहां संगम की पवित्रता और आध्यात्मिकता का अनुभव होता है. हर किसी को अपने जीवन में एक बार महाकुंभ में स्नान जरुर करना चाहिए. माना जाता है यहां से आपको एक अलग अनुभव की प्राप्ति होगी. जिसके बाद आप जीवन और मृत्यु के भय से छुट जाएंगें.