Maha Kumbh: महाकुंभ मेला दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है. ये केवल मेला नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति और आस्था का जीवंत प्रतीक है. जिसमें देश-विदेश से श्रद्धालु भाग लेने के लिए आते हैं. हर 12 साल में आयोजित होने वाला यह मेला गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर होता है. यहां पवित्र स्नान करने का अत्यधिक महत्व है. मान्यता है कि यहां स्नान करने से पापों का नाश होता है, पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष मिलती है.
महाकुंभ मेला 2025 में 13 जनवरी को शुरू होगा और 26 फरवरी को समाप्त होगा. इस वर्ष महाकुंभ के शुरुआत में दो विशेष शुभ संयोग बन रहे हैं. सबसे पहले, 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा होगी. जो परंपरागत रूप से स्नान और दान का दिन माना जाता है. दूसरा शुभ योग रवि योग होगा, जो 13 जनवरी को सुबह 7:15 बजे से 10:38 बजे तक रहेगा. इन दोनों शुभ संयोगों के कारण महाकुंभ 2025 की शुरुआत और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है.
महाकुंभ के दौरान सभी स्नान दिवसों पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त वह समय है जब ब्रह्मा के दर्शन का सर्वोत्तम अवसर मिलता है और यह समय विशेष रूप से अनुष्ठान और स्नान के लिए उपयुक्त माना जाता है. यहां श्रद्धालु अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए नदियों में स्नान करते हैं और भारतीय संस्कृति की गहरी आस्था को महसूस करते हैं. यह मेला न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह भारतीय समाज की एकता और संस्कृति का प्रतीक भी है.