Vastu Tips: पूजा करते समय भगवान और अपने मुख दिशा का रखें ध्‍यान, तभी आएगी जीवन में खुशहाली

Vastu Tips: भगवान को प्रसन्‍न करने के लिए सनातन धर्म के लोग पौराणिक काल से पूजा-पाठ करते आ रहे हैं। सही ढंग से पूजा-पाठ करने से जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है और इसका लाभदायी फल भी मिलता है। देवी-देवताओं की पूजा करते समय भक्ति भावना रहना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके साथ वास्तु और […]

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Vastu Tips: भगवान को प्रसन्‍न करने के लिए सनातन धर्म के लोग पौराणिक काल से पूजा-पाठ करते आ रहे हैं। सही ढंग से पूजा-पाठ करने से जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है और इसका लाभदायी फल भी मिलता है। देवी-देवताओं की पूजा करते समय भक्ति भावना रहना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके साथ वास्तु और ज्योतिष में पूजा-पाठ के कुछ ऐसे नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने से घर में सुख समृद्धि बढ़ती है। वास्तु शास्‍त्र के अनुसार, घर के मंदिर और उसे रखी मूर्तियों की सही दिशा में होना जरूरी है। ज्‍योतिष के अनुसार मंदिर में मूर्तियों को विशेष नियमों के अनुसार स्‍थापित करना बेहद जरूरी है।
इन नियमों का पालन करने पर ही पूजा का पूर्ण फल मिलता है और घर-परिवार में खुशहाली आती है। वहीं मूर्तियों को रखते हुए अगर हम सही दिशा का ध्‍यान नहीं रखे तो पूजा-पाठ पूरी तरह से व्‍यर्थ जाता है। साथ ही यह घर में आने वाली कई तरह की समस्याओं का कारण भी बन सकता है। आइए ज्योतिषाचार्य आचार्य अनिल जी से जानें मंदिर, मूर्तियों और पूजा करते समय दिशा से जुड़े नियम।

पूजन के समय श्रद्धालु रखें दिशा का विशेष ध्‍यान
पूजा करते समय श्रद्धालु हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि उनका और भगवान का मुख सही दिशा में होना चाहिए। ज्‍योषित शास्‍त्र में बताया गया है कि गलत दिशा की तरफ मुख कर होने वाली पूजा को भगवान कभी भी स्वीकार्य नहीं करते हैं। इसके विपरीत गलत दिशा में होने वाले पूजा का नकारात्‍मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए सही दिशा में बैठकर किया गया पूजन ही बेहतर होता है। इससे व्‍यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ज्‍योषित में के अनुसार पूजा करते समय हमेशा भक्‍त का मुख उत्तर दिशा में होना चाहिए। इसे पूजन के लिए सबसे उत्‍तम दिशा माना गया है। इसके अलावा पूर्व दिशा भी पूजन करने के लिए अच्‍छी दिशा होती है। व्‍यक्ति को कभी भी दक्षिण दिशा की तरफ मुख कर पूजन नहीं करना चाहिए।

भगवान के मुख की सही दिशा
ज्‍योतिष शास्त्रों में बताया गया है कि घर में बने मंदिर के अंदर विराजमान भगवान का मुख हमेशा पूर्व दिशा की तरफ होना सर्वश्रेष्ठ होता है। मान्‍यता है कि पूर्व दिशा से सबसे ज्‍यादा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। क्योंकि इसी दिशा से प्रतिदिन भगवान सूर्य उदित होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिशा में भगवान की प्रतिमा का मुख करने से सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा मूर्तियों में प्रवेश करती हैं और इनसे पूजा करने वाले व्‍यक्ति में भी ऊर्जा का संचार होता है। वास्तु के अनुसार घर में मंदिर को हमेशा ईशान कोण में रखना चाहिए।

देवी स्थापना के लिए सबसे शुभ दिशा

अगर आप घर में किसी देवी की मूर्ति को स्‍थापित कर रहे हैं तो कोशिश करें कि इन्‍हें दक्षिण मुखी रखें। क्‍योंकि यह सबसे अधिक फलदायी होता है। मान्यता है कि अगर मंदिर में माता का मुख दक्षिण दिशा की तरफ रखा जाए तो उससे पूजा से मिलने वाले फल का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है और भक्‍त की हर मनोकामना पूर्ण होती है। वास्तु के अनुसार देवी की मूर्ति का मुख उतर दिशा में कभी भी नहीं रखना चाहिए। हालांकि ध्‍यान रखें कि कभी भी देवता की मूर्ति का मुख दक्षिण दिशा की तरफ न रखें।

मंदिर को अंधेरे स्थान पर न रखें
घर में मंदिर को हमेशा ऐसी जगह बनवाएं जहां पर सूर्य की रोशनी आती हो। मंदिर को कभी भी अंधेरी जगह या घर के बहुत अंदर नहीं बनवाना चाहिए। ज्‍योतिष शास्‍त्र में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। सूर्य की रोशनी से मंदिर में स्‍थापित मूर्तियों में ऊर्जा का संचार होता है। मंदिर को अंधेरी जगह पर स्‍थापित करना वास्तु दोष का कारण भी बन सकता है। अगर आप मंदिर, मूर्ति स्थापना और पूजा करते समस दिशा वास्तु का ध्‍यान रखेंगे तो जीवन में सदैव सुख समृद्धि बनी रहेगी।