Vastu Tips for Mandir: सनातन धर्म में भगवान को प्रसन्न करने के लिए मूर्ति पूजा का विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म से जुड़े लोग अपने घरों में भी देवी देवताओं की मूर्तियां रख उनकी पूजा करते हैं। ये मूर्ति मिट्टी के अलावा कई तरह की धातु से भी बनी होती हैं। ऐसे में सभी के मन में यह सवाल उठता है कि किस धातु से बनी मूर्ति की पूजा करना शुभ होता है। वास्तु शास्त्र पूजा के स्थान पर मूर्तियों को स्थापित करने को लेकर कई नियम बताए गए हैं। वास्तु के इन नियमों का पालन करने पर ही पूजा पाठ का पूर्ण फल मिल सकता है।
अगर आप भी घर के मंदिर में भगवान की मूर्तियां रखे हैं या रखने जा रहे हैं तो इनके धातु का विशेष ध्यान रखें। करनाल निवासी ज्योतिषी आचार्य अरूण तिवारी वास्तु के नियमों के बारे में बताते हुए कहते हैं कि कुछ धातुओं से बनी मूर्तियों की पूजा भूल कर भी नहीं करनी चाहिए। यह घर-परिवार की समृद्धि को रोक सकती है। आइये जानते हैं कि वास्तु में किन धातु से बनी मूर्तियों की पूजा करने की सलाह दी गई है।
सोने और चांदी से बनी मूर्तियां
सोने एवं चांदी को हिन्दू धर्म में बेहद पवित्र धातु माना गया है। जब पूजा के लिए मूर्ति स्थापित करने की बात आती है तो सबसे पहले इन दोनों धातुओं का सुझाव दिया जाता है। ये धातुएं सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर नकारात्मकता को दूर भगाने का काम करती हैं। इन धातुओं से बनी मूर्तियों को घर में स्थापित करने से पूरे घर में सकारात्मकता ऊर्जा का संचार होता रहता है। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि सोना बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करता है और चांदी धातु चंद्रमा का प्रतिनिधित्व मानी जाती है। इन दोनों धातु से बनी मूर्ति की पूजा करने से घर में सुख-शांती आती है।
तांबे और पीतल से बनी मूर्तियां
ज्यादातर लोग अपनी सामर्थ्य के अनुसार सोने-चांदी से बनी मूर्ति को नहीं खरीद सकते हैं। ऐसे में दूसरे शुद्ध धातुओं से बनी मूर्ति को स्थापित किया जा सकता है। धार्मिक पुराणों में तांबे से बनी मूर्ति को सोने की शुद्धता के बराबर माना गया है। इन दोनों धातु से बनी मूर्ति की पूजा करने से जातक को बराबर फल प्राप्त होता है. इसके अलावा पीतल धातु से बनी देवी-देवताओं की मूर्ति को घर में स्थापित कर पूजा करना भी बहुत फलकारी होता है। पीतल से बनी मूर्तियां घर के वातावरण सुखद और स्वच्छ बनाने में सहायक मानी जाती हैं।
मिट्टी की मूर्ति
मिट्टी से बनी मूर्तियों की पूजा आदि काल से की जा रही है। जब धातुओं की खोज नहीं हुई थी तब मिट्टी की मूर्ति की ही पूजा होती थी। आज भी नवरात्रि, लक्ष्मी और गणेश पूजा जैसे खास उत्सव और त्योहारों में मिट्टी की मूर्ति ही स्थापित की जाती है। धार्मिक ग्रंथों में मिट्टी से बनी मूर्तियों को बेहद पवित्र बताया गया है। अगर आप धातु से बनी मूर्तियों को स्थापित नहीं कर सकते तो अपने घर मिट्टी से बनी मूर्तियों को ला सकते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार मिट्टी से बनी मूर्ति की पूजा करने से घर में खुशहाली आती है।
इन धातुओं की मूर्ति कभी न करें स्थापित
घर के मंदिर कभी भी लोहे, स्टील और एल्युमीनियम धातु से बनी मूर्तियों को नहीं रखना चाहिए। इन धातुओं को अशुद्ध माना जाता है, इसलिए इनसे बनी मूर्तियां भी अशुद्ध होती हैं। इन धातुओं की मूर्ति की पूजा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और शुभ फल की प्राप्त नहीं होता है।
घर के मंदिर में रखें ऐसी मूर्तियां
घर के मंदिर में हमेशा एक निर्धारित आकार की मूर्ति ही रखनी चाहिए। ज्योतिष के अनुसार घर में कभी भी 9 इंच से ज्यादा ऊंचाई वाली मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि इससे ज्यादा ऊंचाई वाली मूर्तियों को स्थापित करने और उनकी पवित्रा को बनाए रखने के लिए अलग नियम है। जिसका पालन करना सभी के लिए संभव नहीं है। ज्योतिष शास्त्र में छोटी मूर्तियां को ही घर में रखने की सलाह दी गई है।