Yogini Ekadashi 2023: हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए हर मास में आने वाली कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का महत्व बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। साल में कुल 24 एकादशीयां पड़ती है। मल मास की एकादशी को मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती हैं। इन्हीं एकादशियों में से एक एकादशी ऐसी भी है जिसे करने से पापों से मुक्ति मिलती है इसके साथ ही उस व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से इस एकादशी व्रत और कथा के बारे में बताने आग्रह किया। तब भगवान श्री कृष्ण ने बताया कि आषाढ कृष्ण एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है।
रोजाना करते थे भगवान शिव की उपासना
जो लोग योगिनी एकादशी का व्रत करते है उन्हें समस्त पापों से मुक्ति मिलती है साथ ही उसे स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है। आपको बता दें कि योगिनी एकादशी का यह व्रत काफी प्रचलित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तीनों लोकों में इस एकादशी को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
“एक समय की बात है जब स्वर्गलोक की अलकापुर नामक नगर में कुबेर नाम के राजा रहते थे। वह बड़े ही नेमी-धर्मी राजा थे और भगवान शिव के उपासक थे। आंधी-तूफान आये या किसी भी तरह की कोई बाधा उन्हें भगवान शिव की उपासने करने से कोई भी रोक नहीं सकता था। वह रोजाना नियम पूर्वक भगवान शिव की पूजा करते थे।
हेम नामक माली शिव पूजा के लिए फूल दिया करता था। हेम की पत्नी विशालाक्षी थी जो कि सबसे सुंदर थीं एक दिन हेम मानसरोवर से फूल लेकर आया और अपने घर चला गया। वहीं दूसरी ओर राजा हेम के फूलों का काफी समय से इंतजार कर रहा था, लेकिन हेम दोपहर तक नहीं आया। राजा ने सिपाहियों को माली के घर भेजा ताकि माली का पता चल सके। राजा के सिपाहियों ने बताया कि वह नीच प्रवृत्ति का है, अतिकामी हैं, वह अपनी पत्नी के साथ रमण कर रहा होगा।
राजा ने दिया माली हेम को श्राप
राजा कुबेर ने माली को दरबार में बुलाया और गुस्से में कहा कि तुम पापी और अधर्मी हो, शिव पूजा के लिए फूल लेकर नहीं आए, तुमने भगवान शिव का अनादर किया है तुम श्राप के योग्य हो इतना बोलकर राजा ने हेम को श्राप दे दिया कि वह पृथ्वीलोक पर जाकर कोढ़ी होगा और पत्नी का वियोग सहन करेगा।”
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