By election in Rajasthan: राजस्थान में लोकसभा चुनाव के बाद राजस्थान में पांच विधानसभा सीट खाली हुई है. जहां पर अगले 6 महीने में उपचुनाव होने हैं. कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों की साख दांव पर है, लेकिन इस बीच प्रदेश में उपचुनाव का ट्रैक रिकॉर्ड भाजपा के लिए कोई ज्यादा अच्छा नहीं है , लिहाजा सत्ता और संगठन दोनों की टेंशन बड़ी हुई है.
वह नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ को अग्निपरीक्षा से गुजरने वाले हैं और वो है राजस्थान में 5 विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनाव. लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई पांच सीटों पर वैसे तो पहले से ही भाजपा के पास एक भी सीट नहीं, लेकिन प्रदेश में सत्ता भाजपा की है ऐसे में उपचुनाव ने सत्ता और संगठन दोनों की चिंता बढ़ा दी है.
भाजपा के लिए टेंशन का ज्यादा कारण यह भी है कि पिछले 10 साल में हुए उप चुनावों फिर वो लोकसभा के हो या फिर विधानसभा के , इनमें कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है, कांग्रेस सत्ता में हो या विपक्ष में वो उप चुनावों में भाजपा से बेहतर प्रदर्शन करती आई है. यही वजह है कि कांग्रेस उत्साहित है और तैयारी शुरू कर दी, जबकि भाजपा अपने ट्रैक रिकॉर्ड को लेकर चिंतित है और इस बार इसे बदलने की दिशा में कोई ठोस रणनीति को अंदर खाने तैयार कर रही है.
वर्ष 2014 से 2024 के बीच अब तक विधानसभा की 17 सीटों पर उपचुनाव में से कांग्रेस ने 12 पर जीत दर्ज की है. वर्ष 2014 के अप्रैल-मई में राजस्थान की चार विधानसभा सीटों नसीराबाद, वैर, सूरजगढ़ और कोटा दक्षिण पर उपचुनाव हुए, प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बाद भी चार सीटों में सिर्फ एक सीट पर भाजपा जीत दर्ज कर पाई, नसीराबाद, वैर और सूरजगढ़ पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया , जबकि कोटा साऊथ की सीट पर भाजपा के प्रत्याशी संदीप शर्मा ने जीत दर्ज की. इसके बाद वर्ष 2017 में धौलपुर और 2018 में मांडलगढ़ विधानसभा सीटों पर भी उप चुनाव हुए, जिनमें से धौलपुर पर भाजपा और मांडलगढ़ पर कांग्रेस ने बाजी मारी.
इसके बाद विधानसभा उप-चुनाव 2019 से 22 के बीच में 9 सीटों पर उपचुनाव हुए , इस बार कांग्रेस सत्ता में थी. कांग्रेस फिर भी 9 उप चुनावों में से 7 जिसमें मंडावा, सुजानगढ़, सरदारशहर, सहाड़ा, धरियावद, वल्लभनगर और रामगढ़ सीट पर जीत दर्ज की, जबकि भाजपा को केवल एक सीट राजसमंद पर जीत नसीब हुई थी, वहीं एक सीट खींवसर को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने जीत दर्ज की. वहीं 2024 में एक सीट करणपुर विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा .
पिछले तीन बार के लोकसभा चुनाव 2014, 2019 और 2024 में से भाजपा ने 2014 और 2019 में सभी 25 सीटें जीतीं, लेकिन 2024 में 14 पर सिमट गई, कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी करते हुए गठबंधन के साथ 11 सीटें जीतीं. बीते 10 वर्षों में 2013, 2018 और 2023 तीन बार विधानसभा चुनाव हुए। इनमें दो बार 2013 और 2023 में भाजपा सत्तारूढ़ हुई और कांग्रेस 2018 में सत्तासीन हुई. इस तस्वीर को देखने पर भाजपा का पलड़ा कांग्रेस पर काफी भारी दिखता है, लेकिन जब बात उप चुनावों की हो तो कांग्रेस बीजेपी पर भारी पड़ती है. बता दें कि प्रदेश में पांच सीटों पर उपचुनाव होंगे इसमें दौसा, देवली - उनियारा, झुंझुनू, खींवसर और चौरासी विधानसभा सीटें शामिल है.
राजस्थान की विधानसभा का एक अजीब राजनीतिक संयोग रहा है. वर्ष 2013, 2018 और 2023 में विधानसभा चुनाव सभी 200 सीटों पर नहीं हो पाए . चुनाव प्रक्रिया चालू होने के दौरान ही किसी न किसी प्रत्याशी का निधन होने से चुनाव 199 सीटों पर ही हुआ, फिर तीनों बार अगले एक महीने में ही हुए उप चुनावों में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा. वर्ष 2013 में चुनावों के दौरान चूरू में एक प्रत्याशी की मौत होने से वहां बाद में उप चुनाव हुए, उन चुनावों में भाजपा की जीत हुई. वर्ष 2018 में रामगढ़ की सीट पर एक प्रत्याशी की मृत्यु होने पर बाद में उप चुनाव हुए जिनमें कांग्रेस की जीत हुई. दिसंबर 2023 में करणपुर विधानसभा क्षेत्र से एक प्रत्याशी की मृत्यु होने पर बाद में उप चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज की.