Ghaziabad Name Change: मुगल शासन के वजीर गाजीउद्दीन की याद में रखे गए गाजियाबाद जिले का नाम बदलने को लेकर सदन में प्रस्ताव भेजा जाएगा. इससे पहले मंगलवार को नगर निगम की बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव को सदन की मंजूरी मिल गई है, जिसके बाद इसे मुख्यमंत्री की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. हालांकि जिले का नाम बदलने का आखिरी फैसला मुख्यमंत्री द्वारा लिया जाएगा. इसके साथ ही जिले का नया नाम क्या होगा, ये भी अभी तय नहीं किया गया है.
नगर निगम से प्रस्ताव पास होने के बाद इसे सदन में पेश किया जाएगा. लेकिन जिले का नया नाम क्या होगा, इसका फैसला अभी नहीं हुआ है. हालांकि नगर निगम द्वारा जिले का नया नाम गाजियाबाद के इतिहास के आधार पर रखे जाने की पैरवी की जाएगी.
गाजियाबाद जिले का नाम मुग़ल शासन में वजीर रहे गाजीउद्दीन के नाम पर रखा गया था. साल 1740 में गाजीउद्दीन ने अपने ही नाम से गाजीउद्दीन शहर बनाया था. बाद में इस नाम को छोटा करके गाजियाबाद कर दिया गया. भारत की आजादी के बाद जब 14 नवंबर 1976 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने मेरठ का विभाजन करके गाजियाबाद को अलग जिला घोषित किया, तब भी इसका नाम नहीं बदला गया. लेकिन अब मुगलों की याद दिलाने वाले इस नाम को बदलने की आवाज बहुत तेजी से उठने लगी है.
गाजियाबाद जिले का नाम बदलने को लेकर पहले भी कई बार चर्चा हो चुकी है. पहले जिले का नाम बदल कर धेश्वर नगर करने की भी मांग उठी थी. लेकिन मंगलवार को जब यह प्रस्ताव नगर निगम में वार्ड संख्या-100 के पार्षद संजय सिंह की ओर से लाया गया, तो सब ने इस पर अपनी सहमति व्यक्त की. प्रस्ताव में गाजियाबाद का नाम बदल कर गजनगर या हरनंदी नगर करने की मांग की गई है.
जब पार्षद संजय सिंह ने ये प्रस्ताव पेश किया तो इस पर चर्चा शुरू हुई, जिसमें ज्यातर पार्षद इसके पक्ष में थे. चर्चा के दौरान कार्यकारिणी उपाध्यक्ष राजीव शर्मा ने कहा कि यह प्रस्ताव स्वयं महापौर की ओर से आना चाहिए था. जिसके बाद महापौर ने सदन के सामने अपनी ओर से गाजियाबाद का नाम बदलने का प्रस्ताव सदन के समक्ष पेश किया.
इस बीच उन्होंने कहा कि जिले का नाम बदलने का आखिरी निर्णय सरकार को ही लेना है और नया नाम भी सरकार ही तय करेगी. इसके बाद बहुमत से इस प्रस्ताव को पास कर दिया गया. प्रस्ताव पास होते ही सदन में भारत माता की जय के नारे लगाए गए.