RBI MPC Meeting: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपनी पहली मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक में रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की घोषणा की है. यह पिछले पांच वर्षों में पहली बार हुआ है जब आरबीआई ने ब्याज दरों में कमी की है.
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से रेपो दर को 6.50% से घटाकर 6.25% करने का निर्णय लिया है. इसके अलावा स्थायी जमा सुविधा (SDF) दर को 6% किया गया. वहीं सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) दर को 6.50% निर्धारित किया गया.
मल्होत्रा ने कहा कि लचीला मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद साबित हुआ है. इस ढांचे के लागू होने के बाद से औसत मुद्रास्फीति कम हुई है और आने वाले वित्तीय वर्ष 2025-26 में इसमें और कमी आने की संभावना है. उन्होंने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक गतिविधियों में मजबूती देखी जा रही है. साथ ही उन्होंने बताया कि कृषि क्षेत्र में सुधार जारी है. विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष की दूसरी छमाही में सुधार की उम्मीद है.
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने डिजिटल धोखाधड़ी में बढ़ोतरी को लेकर चिंता जताई और कहा कि इससे निपटने के लिए सभी हितधारकों को मिलकर काम करना होगा. आरबीआई बैंकिंग और भुगतान प्रणालियों में डिजिटल सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई उपाय कर रहा है. विदेशी व्यापारियों के लिए अंतरराष्ट्रीय डिजिटल भुगतानों में अतिरिक्त प्रमाणीकरण की सुविधा को बढ़ाया जाएगा. मैं बैंकों और एनबीएफसी से आग्रह करता हूं कि वे साइबर जोखिमों को कम करने के लिए सुरक्षा उपायों में लगातार सुधार करें.
आरबीआई ने आखिरी बार मई 2020 में 0.40% की कटौती कर रेपो रेट कम की थी. इसके बाद ब्याज दरों में वृद्धि शुरू हुई. रेपो रेट को 6.50% तक बढ़ाया गया और तब से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ था. पिछली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में भी रेपो दर स्थिर रखी गई थी. रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को कर्ज देता है. जब रेपो रेट घटती है तो बैंकों को कम ब्याज पर ऋण मिलता है. जिससे वे ग्राहकों को सस्ते लोन ऑफर कर सकते हैं.
इस बदलाव के बाद मिडिल क्लास और लोन लेने वालों को राहत मिलने की संभावना है. होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन सस्ते होंगे. साथ ही ईएमआई का बोझ कम होगा. जिससे घर खरीदारों और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी. सस्ते लोन से लोग ज्यादा खर्च करेंगे, जिससे बाजार में पैसा बढ़ेगा और आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा. जब अर्थव्यवस्था सुस्त होती है, तो आरबीआई ब्याज दरों में कटौती कर मनी फ्लो बढ़ाता है ताकि रिकवरी को तेज किया जा सके. दूसरी ओर जब महंगाई ज्यादा होती है तो आरबीआई रेपो रेट बढ़ाकर पैसे के प्रवाह को नियंत्रित करता है.