अनुराग कश्यप, जो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने नामों में से एक हैं. उन्होंने अब तक दर्शकों को गैंग्स ऑफ वासेपुर, देव डी, और उड़ान जैसी कई यादगार फिल्में दी हैं. हाल ही में, एक इंटरव्यू के दौरान अनुराग ने अपने दिल की बात की, जिसने सभी का ध्यान खींचा.
उन्होंने मुंबई छोड़ने का इरादा जाहिर करते हुए बताया कि अब उन्हें फिल्म बनाने में वो मजा नहीं आता. इस बातचीत में उन्होंने अपनी इंडस्ट्री से जुड़ी नाराजगी जाहिर की.
अनुराग कश्यप ने मुंबई को अलविदा कहने की तैयारी कर ली है. हॉलीवुड रिपोर्टर को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा किया कि 2025 में वह मुंबई से साउथ शिफ्ट होने का फैसला ले चुके हैं. इस बातचीत में उन्होंने बॉलीवुड की टैलेंट एजेंसियों पर अपनी नाराजगी जताई हैं. अनुराग का कहना है कि ये एजेंसियां नए कलाकारों को एक्टिंग में बेहतर बनाने के बजाय गलत ट्रेंड सेट कर रही हैं. यदि युवा कलाकार उनकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते, तो उन्हें बीच में ही छोड़ दिया जाता है.
अनुराग कश्यप ने बॉलीवुड इंडस्ट्री को लेकर एक दिलचस्प बयान दिया. उनका मानना है कि अब फिल्मों को बनाने की एक्साइटमेंट और उत्साह में कमी आ चुकी है, जो पहले हुआ करती थी. इसकी वजह, उन्होंने कहा, फिल्मों के बनाने में बढ़ते खर्च, कलाकारों की ऊंची फीस और अन्य व्यावसायिक पहलुओं पर बढ़ता फोकस है.
उन्होंने यह भी कहा कि आजकल प्रोड्यूसर फिल्म शुरू करने से पहले ही इसके प्रॉफिट और मार्जिन सोचने लगते हैं. इसके अलावा, फिल्म को लोगों को कैसे बेचा जाए, इस पर जोर दिया जाता है, जो एक्साइटमेंट और उत्साह को कम कर देता है. अनुराग के मुताबिक, इस तरह की सोच उस जुनून को खत्म कर रही है जो एक समय में फिल्म निर्माण का दिल हुआ करता.
साउथ फिल्म इंडस्ट्री में शिफ्ट होने के सवाल पर उन्होंने कहा, मैं वहां जाना चाहता हूं जहां मुझे प्रेरणा मिले. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो मैं बूढ़ा इंसान बनकर मर जाऊंगा.
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री पर अपनी निराशा जताते करते हुए उन्होंने कहा, मुझे अपनी इंडस्ट्री की सोच से बहुत निराशा होती है. मैं ऐसी सोच से नफरत करता हूं, जहां केवल पहले से कामयाब चीजों को दोहराने पर जोर दिया जाता है.
उन्होंने अपनी फिल्म मंजुमल बॉयज के बारे में कहा, यह फिल्म हिंदी सिनेमा में पहले कभी नहीं बनी. लेकिन अगर यह हिट हो जाती है, तो इसको दोबारा बनाने के लिए सोचा जाएगा.
आखिर में उन्होंने कहा, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की इस रीमेक वाली सोच ने मुझे इससे चिढ़ दिला दी है. वे नई और अलग सोच को अपनाने की कोशिश ही नहीं करते. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो मैं एक बूढ़ा इंसान बनकर रह जाऊंगा.