साउथ सुपरस्टार महेश बाबू को ED ने भेजा समन, जानें क्या है पूरा मामला

ईडी ने महेश बाबू को हैदराबाद स्थित रियल एस्टेट फर्म साई सूर्या डेवलपर्स और सुराना ग्रुप से जुड़े प्रोपर्टी प्रचार मामले में समन दिया है. हालांकि अब तक इस मामले में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है. लेकिन एजेंसी ने कैश लेन-देन की वजह से उन्हें तलब किया है. 

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Courtesy: Social Media

Mahesh Babu: साउथ के साथ-साथ देशभर के दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले महेश बाबू को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में समन जारी किया है. महेश बाबू साउथ के सुपरस्टारों में गिने जाते हैं, ऐसे में उनका नाम ऐसे मामलों में जुड़ने से उनके फैंस भी अचंभित हैं.

जानकारी के मुताबिक, ईडी ने महेश बाबू को हैदराबाद स्थित रियल एस्टेट फर्म साई सूर्या डेवलपर्स और सुराना ग्रुप से जुड़े प्रोपर्टी प्रचार मामले में समन दिया है. हालांकि अब तक इस मामले में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है. लेकिन जांच एजेंसी ने कैश लेन-देन से जुड़े पूछाताछ के लिए उन्हें तलब किया है. 

ईडी के सूत्रों ने दी जानकारी

ईडी के सूत्रों की मानें तो महेश बाबू ने उपर्युक्त फर्मों द्वारा शुरू की गई रियल एस्टेट परियोजनाओं के प्रचार विज्ञापनों में काम किया था. जिसके लिए महेश बाबू ने लगभग 6 करोड़ रुपये चार्ज किया था. जिसमें से लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपये उन्हें चेक के माध्यम से दिए गए. वहीं 2.5 करोड़ रुपये कैश दिया गया. जिसके बाद इस लेने-देन में किए गए कैश ट्रांस्फर पर अब एजेंसी की नजर है. जांचकर्ताओं को यह शक है कि नकद भुगतान एक व्यापक मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क से जुड़ा हो सकता है, जिसके कारण उन्हें अभिनेता महेश बाबू से पूछताछ के लिए बुलाया गया है. 

क्या है पूरा मामला

महेश बाबू को ईडी द्वारा भेजे गए समन में 28 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा गया है. वहीं दूसरी ओर हैदराबाद प्रॉपर्टीज लिमिटेड के नरेंद्र सुराना और साई सूर्या डेवलपर्स के सतीश चंद्र गुप्ता के खिलाफ तेलंगाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया है.  जिसमें उन पर अनधिकृत लेआउट में प्लॉट बेचकर खरीदारों को ठगने, एक ही प्लॉट को कई बार बेचने और संपत्ति पंजीकरण से संबंधित झूठे वादे करने का आरोप लगाया गया है. ईडी ने अपनी जांच तेज कर दी है, लेकिन अब जांच के दायरे में आई फर्मों द्वारा महेश बाबू को किए गए भुगतानों ने ध्यान आकर्षित किया है. चेक भुगतान की घोषणा की गई थी, लेकिन अब नकद भुगतान की जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह मनी लॉन्ड्रिंग योजना का हिस्सा था या नहीं.

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