Zara Khan: एक्ट्रेस ज़ारा खान इन दिनों काफी चर्चा में हैं. उन्होंने हिंदी, मराठी, तमिल और तेलुगु भाषाओं में अपने शानदार अभिनय ने चार चांद लगाने का काम किया है. इस बीच इन दिनों ज़ारा खान फिल्मों के साथ-साथ समाजसेवा में भी बढ़चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. उन्होंने समाज के निचले तबके के बच्चों के लिए समय समय पर कुछ ना कुछ मदद करने का अपना अभियान जारी रखा हुआ है. अभी हाल ही में उन्होंने महाराष्ट्र के पालघर जिले के सुरेखा गार्डी स्वजन विद्यालय खैरे अम्बिवली में लगभग 450 बच्चों के बीच बैग और शिक्षा से सम्बंधित जरूरी चीजें बांटी हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह एक सरकारी स्कूल है, जहाँ ज़ारा खान ने स्कूल बैग और शिक्षा से संबंधित सभी जरूरी चीजें बांटी हैं. दरअसल जारा खान का एक मॉम फाउंडेशन नाम से एनजीओ है. इसी मॉम फाउंडेशन के सहयोग से वे अपने समाज सेवा के कार्य को अंजाम देती हैं. वे इस मॉम फाउंडेशन के जरिये आदिवासी बच्चों , सरकारी और गैर सरकारी स्कूल के बच्चों और अनाथ बच्चों के सहयोग के लिए सदैव आगे रहती हैं.
मुम्बई की रहने वाली ज़ारा खान अपने कैरियर के साथ साथ समाज सेवा को भी उतना ही महत्व देती हैं और अपने कमाई का एक हिस्सा समाज से उपेक्षित बच्चों और गरीब बच्चों के ऊपर खर्च करती हैं. ज़ारा खान अब तक अपने मॉम फाउंडेशन के जरिए अभी तक सैकड़ो बच्चों को फ्री में पुस्तक ,बैग और भोजन बांट चुकी हैं. इस बीच ज़ारा खान कहती हैं कि समाज सेवा करने के लिए करोड़पति होना जरूरी नहीं है, बस आपके मन में जज़्बा होना चाहिए, लोगों को लेकर संवेदनशील होना चाहिए.
फिल्मो में अभिनय करने के साथ साथ 26 वर्षीय ज़ारा खान के मन में गरीब बच्चों के लिए कुछ करने का जज़्बा बचपन से था. उन्होंने अपने आसपास की गरीबी देखी तो इनका शुरुआत से ही मानना था कि वे अपनी कमाई का कुछ हिस्सा जरूर इन गरीबों की भलाई के लिए इस्तेमाल करेंगी. ज़ारा मुंबई के सरकारी और गैरसरकारी स्कूलों में गरीब और 450 आदिवासी अनाथ बच्चों को फ्री में बैग ,पुस्तक ,पेन ,और भोजन उपलब्द्ध कराती है.
इस बीच ज़ारा खान अपने इसी मॉम फाउंडेशन के सहयोग से आने वाली 12 अगस्त को मुम्बई के सुपर स्पेशलिटी कैंसर हॉस्पिटल टाटा मेमोरियल के सौंजन्य से एक फ्री कैंसर जांच शिविर लगाने जा रही हैं जिनमें महिलाओं के ब्रेस्ट कैंसर की फ्री में जांच भी की जाएगी और इस कैम्प में जिन महिलाओं के अंदर ब्रेस्ट कैंसर की पुष्टि होगी उनका इलाज भी इसी मॉम फाउंडेशन के जरिये कराया जाएगा, जिसमें रोगी को एक रुपया भी खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी.
ऐसे में ज़ारा खान के सराहनीय कदम की चारों तरफ प्रशंसा हो रही है. लोगों का मानना है कि ऐसा करना सबके बस की बात नहीं है लेकिन ज़ारा खान ने अपनी दृढ़इच्छाशक्ति के दम पर यह संभव कर दिखाया है.