Heart Attack in Women: हार्ट अटैक दुनिया भर में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है. अनुमान है कि हर साल लगभग 17.9 मिलियन लोग हृदय रोगों से मरते हैं. जिनमें से 85% मौतें हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण होती हैं. हालांकि पुरुषों में यह समस्या ज्यादा पाई जाती है. लेकिन महिलाओं में भी हार्ट अटैक के मामलों में वृद्धि हो रही है. यह जीवनशैली, तनाव और रजोनिवृत्ति से जुड़े बदलावों के कारण हो सकता है.
हार्ट अटैक के लक्षण महिलाओं में पुरुषों से थोड़े अलग हो सकते हैं. महिलाओं में हार्ट अटैक के कुछ खास लक्षण अधिक देखे जाते हैं. जैसे की गर्दन, जबड़ा, कंधे, ऊपरी पीठ या ऊपरी पेट में दर्द होना, सांस फूलना, एक या दोनों हाथों में दर्द होना, मतली या उल्टी आना, पसीना आना, सिर चकराना या चक्कर आना, असामान्य थकान या फीर हार्टबर्न या अपच भी होते हैं. इसे पता करने के लिए आप हर तीन महीने पर आप हार्ट की जांच कराते रहें. खासकर बढ़ते उम्र के साथ सतर्कता जरूरी है.
सबकी चिंता कर रही घर की महिलाएं अक्सर इन लक्ष्णों को काफी हल्के में लेती हैं. डॉक्टर का कहना है कि इन लक्षणों को हल्के में न लें, क्योंकि ये हार्ट अटैक के संकेत हो सकते हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाओं को आराम करते समय या सोते समय भी इन लक्षणों का सामना हो सकता है. इसके अलावा भावनात्मक तनाव भी हार्ट अटैक के लक्षणों को बढ़ा सकता है. महिलाओं को हार्ट अटैक का खतरा तब भी हो सकता है जब उनकी धमनी में कोई गंभीर रुकावट न हो.
इसे नॉनऑब्सट्रक्टिव कोरोनरी आर्टरी डिजीज़ (NOCAD) कहा जाता है. जिसमें कोरोनरी धमनियों में रुकावट नहीं होती, फिर भी हृदय में रक्त प्रवाह में समस्या आ सकती है. महिलाओं में हार्ट अटैक के जोखिम को सही समय पर पहचानना और उसे कम करने के उपायों को अपनाना बहुत जरूरी है. स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर और नियमित जांच से आप अपने हृदय स्वास्थ्य का ध्यान रख सकते हैं.