Plastic Cups Effects on Health: भारत में टी और कॉफी लवर काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. हर कोई अपनी निंद से उठने के लिए चाय और कॉफी का इस्तेमाल करते हैं. किसी-किसी को तो ऐसी आदत है कि बिना चाय-कॉफी के फ्रेश तक नहीं हो पाते हैं. खास कर सर्दियों के दिनों में चाय-कॉफी की डिमांड और भी ज्यादा बढ़ जाती है.
हर नुकक्ड़ और चौराहे पर एक चाय की दुकान होती है. जहां चाय के शौकीन घंटो समय बिताते हैं. अब लोग चाय और कॉफी के लिए डिस्पोजेबल कप का इस्तेमाल करने लगे हैं. लोगों का मानना है कि डिस्पोजेबल पेपर कप सेहत के पर कोई प्रभाव नहीं डालता है. लेकिन डॉक्टरों की राय इससे उलट है.
हम आमतौर पर चाय और कॉफी पीने के लिए कागज से बने कप का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन आपको बता दें, अगर कप कागज का बना होगा तो उसमें पानी या कोई भी लिक्विड नहीं रह पाएगा. ऐसे में वॉटरप्रूफिंग के लिए कप के अंदर अल्ट्रा-थिन प्लास्टिक की कोटिंग की जाती है जब हम इन कपों में कोई भी गर्म पेय, जैसे कॉफी या गर्म पानी डालते हैं, तो इस परत से माइक्रोप्लास्टिक के बहुत छोटे कण निकलने लगते हैं. ये कण इतने छोटे होते हैं कि इन्हें केवल माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है, लेकिन ये हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होते हैं. धीरे-धीरे ये कण कप से पेय में घुलने लगते हैं.
IIT खड़गपुर ने कुछ साल पहले एक अध्ययन किया था जिसमें पाया गया था कि अगर किसी गर्म पेय को 15 मिनट तक कागज़ के कप में रखा जाए, तो उसमें लगभग 20,000 से 25,000 माइक्रोप्लास्टिक कण हो सकते हैं. ये कण हमारे शरीर में प्रवेश कर हार्मोनल असंतुलन और यहाँ तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं. ऐसी स्थिति में आपको अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जितना हो सके कागज़ के कप का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए.
इसकी जगह चीनी मिट्टी या स्टेनलेस स्टील के कप का इस्तेमाल करें. अगर आप बाहर चाय या कॉफी पी रहे हैं, तो मिट्टी का कुल्हड़ सबसे अच्छे विकल्पों में से एक है. या फिर हमेशा अपने साथ ऐसे कप रखें जिन्हें बार-बार इस्तेमाल किया जा सके. यह न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी ज़्यादा फ़ायदेमंद होगा.