बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों में बढ़ रही इनफर्टिलिटी की समस्या, जानें कैसे?

लोगों की बदलती लाइफस्टाइल के कारण आज कल इनफर्टिलिटी की समस्या काफी बढ़ती जा रही है. हालांकि इनफर्टिलिटी बढ़ने के पीछे अब प्रदूषण का भी कारण बताया जा रहा है. कुछ रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि प्रदूषण की वजह से महिला और पुरुष दोनो में इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ रही है.

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Courtesy: Social Media

Feritlity issue due to Pollution: लोग काफी तेजी से शहर की ओर भाग रहे हैं. जिसके कारण शहर में प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है. प्रदूषण और शहरी विस्तार के कारण परिवार शुरू करने की योजना बनाने वाले लोगों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. हाल के अध्ययनों में यह साबित हुआ है कि वायु प्रदूषण से संपर्क करने पर प्रजनन दर में गिरावट आ सकती है और इसका पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य पर विशेष असर पड़ता है.

शहरी प्रदूषण विशेष रूप से PM2.5 (सूक्ष्म कण पदार्थ) और सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) जैसे तत्वों ने प्रजनन क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. महिलाओं में इके कारण फॉलिकल एंट्रल काउंट (follicular antral count) और एंटी-मुलरियन हार्मोन (AMH) के स्तर में कमी आ रही है. जो प्रजनन क्षमता के महत्वपूर्ण संकेतक होते हैं.

प्रदूषण के कारण महिलाों पर असर

महिलाओं के जैविक मेकअप के कारण वे प्रदूषण के प्रति एक विशेष भेद्यता का सामना करती हैं. महिलाओं के अंडाशय में जन्म से ही सीमित संख्या में जर्म कोशिकाएँ होती हैं, जिन्हें पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता. प्रदूषण से इन कोशिकाओं को नुकसान स्थायी और अपरिवर्तनीय हो सकता है. यह जैविक बाधा पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता की आवश्यकता को और बढ़ाती है.

पुरुषों में प्रदूषण का प्रभाव

 पुरुषों के पास शुक्राणुजन स्टेम कोशिकाओं के माध्यम से कुछ प्रजनन लचीलापन होता है लेकिन यह उनके लिए भी एक खतरे की घंटी है. पुरुष अपने वीर्य नलिकाओं में शुक्राणु का उत्पादन करते रहते हैं, लेकिन प्रदूषण के संपर्क में आने से शुक्राणु की गुणवत्ता और संख्या में कमी हो सकती है. इसलिए पुरुषों पर भी प्रदूषण के प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता.

खाने के कारण भी बढ़ रही समस्या 

वायु प्रदूषण के अलावा, आहार से जुड़े जोखिम भी प्रजनन स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकते हैं. उदाहरण के लिए कुछ मछलियों जैसे स्वोर्डफ़िश और टूना में मिथाइलमर्करी का स्तर काफी अधिक हो सकता है, जो प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है. यह समस्या उस समय और गंभीर हो जाती है जब जोड़े प्रजनन फिटनेस को बनाए रखने के लिए आहार पर विशेष ध्यान दे रहे होते हैं.

समाधान और सुरक्षात्मक उपाय

प्रजनन उपचार कराने वाले जोड़ों के लिए इन पर्यावरणीय कारकों को समझना और उनसे निपटना जरूरी है. विशेषज्ञ अब घरों और कार्यस्थलों में उच्च गुणवत्ता वाले एयर प्यूरीफायर के उपयोग, वायु गुणवत्ता सूचकांकों की निगरानी, समुद्री भोजन के चयन में सावधानी और प्लास्टिक उत्पादों से बचने की सलाह देते हैं. इसके साथ ही, जीवनशैली में बदलाव जैसे कि प्रदूषण से बचाव के उपायों को अपनाना भी आवश्यक हो गया है.

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