Thyroid Awareness Month: जनवरी को थायराइड जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है. जो इस महत्वपूर्ण ग्रंथि के स्वास्थ्य और इसके प्रभावों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का समय है. विशेष रूप से गर्भावस्था के दौरान, थायराइड विकारों का समय पर निदान और उपचार न केवल माँ बल्कि भ्रूण के स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है. थायराइड हार्मोन शरीर की चयापचय प्रक्रिया, ऊर्जा संतुलन और तंत्रिका तंत्र के विकास को नियंत्रित करते हैं. गर्भावस्था में ये हार्मोन बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
थायराइड के कारण आजकल महिलाओं में प्रेग्नेंसी से जुड़ी समस्याएं भी होने लगी है. लेकिन इसके प्रति जागरूकता और उचित देखभाल से गर्भवती महिलाएं जटिलताओं को रोक सकती हैं और स्वस्थ बच्चे को जन्म देने का सपना साकार कर सकती हैं. नियमित निगरानी और सही जानकारी हर माँ के लिए अनिवार्य है.
थायराइड बढ़ने के कारण लोगों में कई तरह की समस्याएं हो रही है. इससे गर्भपात और मृत जन्म का खतरा भी बढ़ जाता है. वहीं उच्च रक्तचाप (PIH) और भ्रूण के मस्तिष्क विकास में बाधा भी होती है. इससे बचने के लिए आप गर्भधारण से पहले और दौरान थायराइड स्तर की नियमित जांच. प्रेग्नेंसी के पहले 12 हफ्तों में 2.5 से कम होना चाहिए. इसके बाद 3 तक नियंत्रित करना जरुरी है.
थायराइड विकारों का प्रबंधन सुरक्षित मौखिक दवाओं से किया जा सकता है. अगर आपका थायराइड लेवल बढा़ है तो आप आयोडीन-युक्त आहार, साबुत अनाज, और हरी सब्जियों का सेवन करें इससे आपकी समस्याओं में कमी आएगी. इसके अलावा गर्भधारण से पहले परामर्श और थायराइड की स्थिति का मूल्यांकन करें. साथ ही गर्भावस्था के दौरान नियमित अल्ट्रासाउंड और हार्मोन परीक्षण जरुर कराएं.