Mini Stroke Signs: सोशल मीडिया पर हर रोज एक ऐसा वीडियो देखने को मिलता है, जिसमें लोग हंसते-खेलते अचानक गिर जाते हैं. बाद में पता चलता है कि उनकी जान अटैक के कारण चली गई. हालांकि ऐसा नहीं है कि आपका शरीर आपको पहले हिंट नहीं देता है. कुछ भी ऐसा होने से पहले शरीर में जरूर कुछ बदलाव होता है. जिसे इग्नोर करने के बजाए, उसकी जांच कराने की जरूरत होती है. कई मामलों में पहले मिनी स्ट्रोक के भी लक्ष्ण देखे जाते हैं. जिसे इग्नोर कर देते हैं. आइए जानते हैं कि मिनी स्ट्रोक होता क्या है?
मिनी स्ट्रोक को ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (TIA) के नाम से भी जाना जाता है. यह एक छोटी अवधि का लक्षण है जो स्ट्रोक के बराबर होता है. यह एक अस्थायी स्ट्रोक की तरह है जिसमें मस्तिष्क में रक्त प्रवाह की अस्थायी कमी होती है. एक मिनी स्ट्रोक आमतौर पर कुछ मिनटों तक रहता है. हालांकि इससे कोई परमानेंट लॉस नहीं होता है लेकिन इसे अपने शरीर में किसी गड़बड़ के लक्ष्ण के रूप में देखा जा सकता है.
मिनी स्ट्रोक को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए क्योंकि यह ब्रेन स्ट्रोक का चेतावनी संकेत हो सकता है. TIA से पीड़ित लगभग 3 में से 1 व्यक्ति को सबसे अंत में स्ट्रोक आते हैं. इससे पहले लगभग आधे TIA के एक साल के भीतर होते हैं. जबकि एक मिनी स्ट्रोक एक चेतावनी संकेत हो सकता है. यह आपको ब्रेन स्ट्रोक की रोकथाम का मौका भी दे सकता है. आइए इन लक्ष्णों के बारे में समझते हैं.
शरीर के एक तरफ के हिस्से का सुन्न होना, कमजोर होना और शांत होना मिनी स्ट्रोक के लक्षण है. यह अक्सर मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में रक्त प्रवाह में अस्थायी कमी का परिणाम होता है जो मांसपेशियों की गति को नियंत्रित करने वाली नसों को प्रभावित करता है.
किसी को बोलने में अचानक परेशानी होना या साफ ना बोल पाना भी इसके लक्षण है. अगर किसी को भी बोलने में कोई दिक्कत हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और इसका जांच कराएं.
मिनली स्ट्रोक आने से पहले आंखों में परेशानी हो सकती है. धुंधली दृष्टि, अचानक अंधेरा या आंखों में बार बार जलन होना भी आपके लिए सही नहीं है. यह आपके मस्तिष्क के रक्त प्रवाह को रोकने का संकते हो सकता है.
सर में दर्द होना और चक्कर आने जैसी समस्या होना भी आपके लिए बड़ी परेशानी का संकेत हो सकता है. जब शरीर में रक्त प्रवाह अच्छे से नहीं होता है तो आपको कुछ देर पर चक्कर आता रहता है. इसे अनदेखा ना करें. मिनी स्ट्रोक के लक्ष्णों पर ध्यान देना और सही समय पर इसका इलाज कराने से स्ट्रोक से बचा जा सकता है.