National Girl Child Day: राष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 24 जनवरी को बालिकाओं के सामने आने वाली असमानताओं और चुनौतियों को उजागर करने के उद्देश्य से मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने की थी. यह दिन बालिकाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने, उन्हें बेहतर अवसर प्रदान करने और उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए समर्पित है.
बालिकाओं को कई तरह की स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, खासतौर पर किशोरावस्था में. इनमें से कुछ सामान्य समस्याएँ निम्नलिखित हैं:
खराब आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी और कभी-कभी आनुवंशिक कारणों से किशोर लड़कियाँ मोटापे की समस्या से जूझती हैं. यह समस्या आगे चलकर टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग और उच्च रक्तचाप जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है.
किशोर लड़कियाँ एनोरेक्सिया नर्वोसा और बुलिमिया नर्वोसा जैसे खाने के विकारों के प्रति संवेदनशील होती हैं. शरीर की छवि, सोशल मीडिया का दबाव और भावनात्मक तनाव इसका मुख्य कारण बनते हैं. ये विकार न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालते हैं.
यौवन के दौरान हार्मोनल उतार-चढ़ाव से अनियमित मासिक धर्म, पीएमएस और दर्दनाक मासिक धर्म जैसी समस्याएँ होती हैं. ये न केवल शारीरिक तकलीफ का कारण बनती हैं, बल्कि मूड स्विंग्स और खाने की आदतों को भी प्रभावित कर सकती हैं.
किशोर लड़कियाँ अक्सर चिंता, अवसाद और तनाव जैसी मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करती हैं. ये समस्याएँ खाने की आदतों को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे जरूरत से ज्यादा या कम खाने की आदत विकसित हो सकती है.
किशोरावस्था में डाइटिंग या अव्यवस्थित खाने के कारण कई लड़कियों को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते. इसका परिणाम आयरन, कैल्शियम और विटामिन डी की कमी के रूप में सामने आता है. खराब पोषण से थकान, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और हड्डियों से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं.