National Anaemia Day: भारत में दस में से 5 महिलाएं एनीमिया की शिकार है. जिसका मतलब है कि इन महिलाओं में खून की कमी है. हालांकि ना केवल भारत बल्कि दुनिया को एनीमिया का मतलब समझाने के लिए हर साल 21 मार्च को राष्ट्रीय एनीमिया दिवस मनाया जाता है.
एनीमिया दिवस मनाने का उद्देश्य इसके बारे में जागरूकता बढ़ाना है. यह तब होता है जब शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं या हीमोग्लोबिन की कमी होती है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक भारत में 15 से 49 वर्ष की आयु की 57% महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं.
एनीमिया से पुरुषों की तुलना में महिलाओं ज्यादा पीड़ित हैं. इसके पीछे की सारी वजह बताई जाती है. एक्सपर्ट्स की मानें तो यह लिंग अंतर मुख्य रूप से जैविक, पोषण संबंधी और सामाजिक-आर्थिक कारणों से होता है. इसका एक प्रमुख कारण पीरियड्स और उसके परिणामस्वरूप नियमित रूप से होने वाला रक्त का रिसाव है. इसकी वजह से गर्भावस्था में जोखिम बढ़ जाता है क्योंकि भ्रूण का अच्छे तरीके से विकास नहीं हो पाता है. प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर को अधिक आयरन की आवश्यकता होती है. ऐसे में महिलाओं में एनीमिया की कमी बड़े खतरे की घंटी हो सकती है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में वैसे भी आयरन कम होता है, क्योंकि महिलाएं अक्सर खाना में लापरवाही करती हैं.
महिलाओं में एनीमिया का एक और महत्वपूर्ण कारण उनका खराब डाइट है. गांव की ज़्यादातर महिलाएं या फिर शहरों में भी कम आय वाली महिलाएं पर्याप्त भोजन नहीं लेती हैं. उनके डाइट में लाल मांस, पत्तेदार सब्ज़ियां और फलियां जैसे आयरन युक्त खाद्य पदार्थ कम होते हैं. इसके अलावा, विटामिन बी12 और फोलिक एसिड जैसे अन्य पोषक तत्वों की कमी के कारण यह समस्या और भी ज्यादा गंभीर हो जाती है. एनीमिया की कमी से और भी अन्य कई बीमारियां हो सकती है. इससे बचने के लिए हर किसी को अच्छी डाइट लेनी चाहिए. महिलाएं अपने खाने में ड्राइ फ्रूट्स और सीड्स को शामिल करें, जो आपके आयरन की कमी को पूरा करेगा. वहीं अपने मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव के फ्लों पर जूरूर ध्यान दें.