Chicken Legs: नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर धरती पर तो वापस आ चुके हैं. लेकिन उनकी परेशानी अभी खत्म नहीं हुई है. अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 286 दिन बिताने के बाद दोनों अंतरिक्ष यात्री धरती पर लौट आए हैं लेकिन उनकी स्वास्थ्य समस्याएं अभी भी बनी हुई है.
अंतरिक्ष में जीरो ग्रेविटी होता है. जिसके कारण वहां रह रहे लोगों के शरीर पर कोई दबाव नहीं पड़ता है. जिसके कारण शरीर की हड्डियों और मांसपेशियों में परेशानी होने लगती है. इसके अलावा ज्यादा समय तक स्पेस में रहने वालों को हार्ट के आकार तक बदल जाते हैं. इसके अलावा अल्ट्रा वॉयलट रेज के कारण कैंसर तक का खतरा होता है. इसके अलावा अंतरिक्ष से वापस आने वाले यात्रियों में चिकन लेग्स की परेशानी भी आम है.
सुनीता विलियम्स नौ महीने के बाद धरती पर लौटीं हैं. जिसके कारण उन्हें चिकन लेग्स की समस्या हो सकती है. इस शब्द का उपयोग केवल अंतरिक्ष जैसे माइक्रोग्रैविटी वातावरण में लंबा समय बिताने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों की मांसपेशियों, विशेष रूप से उनके पैरों की अपक्षयी और कमजोर स्थिति का बताने के लिए किया जाता है. अंतरिक्ष में ग्रेविटी की कमी की वजह से अंतरिक्ष यात्रियों की पैर की मांसपेशियों को अपने शरीर को सहारा देने के लिए उतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती.
जिससे मांसपेशियों का नुकसान होता है और हड्डियों के घनत्व में कमी आती है. जब अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर वापस लौटते हैं तो उन्हें खड़े होने या चलने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. जैसा की आज हमने देखा भी है. सुनीता वापसी के बाद खड़ी नहीं हो पाईं थी. क्योंकि उनकी मांसपेशियां और हड्डियां मिशन से पहले जितना मज़बूत नहीं हैं.
अंतरिक्ष यात्रियों को इन वजहों से कुछ दिनों तक काफी थकान होगा और बैलेंस बनाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. हालांकि लंबे समय तक डॉक्टर के अंडर रहने के बाद मांसपेशियों और हड्डियों को एक बार फिर से रिकवर कर लिया जाएगा. लेकिन तब तक इन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. सुनीता विलियम्स और धरती पर वापस लौटे अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के लिए रीकंडीशनिंग कार्यक्रम चलाया जा रहा है. जिसमें 45 दिनों के लिए सप्ताह में सात दिन, प्रतिदिन दो घंटे के लिए आयोजित किया जाएगा. पुनर्वास कार्यक्रम में शक्ति व्यायाम, हृदय संबंधी व्यायाम, हड्डी की रिकवरी थेरेपी और संतुलन प्रशिक्षण दिया जाएगा.