Panchkarma: आजकल की खराब जीवनशैली और खानपान के कारण ब्लड शुगर लेवल बढ़ने की समस्या आम होती जा रही है, जो अंततः डायबिटीज (मधुमेह) जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है. बढ़ा हुआ ब्लड शुगर शरीर के विभिन्न अंगों पर नकारात्मक असर डालता है और शरीर को अंदर से कमजोर कर देता है. इस कारण समय रहते ब्लड शुगर को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है.
आयुर्वेद में डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए कई कारगर उपाय और औषधियाँ उपलब्ध हैं. इनमें से एक महत्वपूर्ण उपाय है पंचकर्म, जो शरीर के अंदर से गंदगी और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए एक प्रभावी उपचार है. इस उपचार के द्वारा न केवल ब्लड शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि पूरे शरीर को भी शुद्ध किया जा सकता है.
पंचकर्म आयुर्वेद का एक प्रमुख उपचार पद्धति है, जिसमें शरीर की गहरी सफाई की जाती है. इसके अंतर्गत पांच प्रकार की प्रक्रियाएँ होती हैं.इन प्रक्रियाओं के द्वारा शरीर के अंदर जमा विषाक्त पदार्थ, गंदगी और अन्य हानिकारक तत्व बाहर निकल जाते हैं. जिससे अंगों का कार्य ठीक से होने लगता है और ब्लड शुगर नियंत्रित होता है.
1. वमन (उल्टी कराना): यह प्रक्रिया शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने के लिए की जाती है.
2. विरेचन (दस्त कराना): यह प्रक्रिया भी शरीर से गंदगी और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए की जाती है.
3. अनुवासन बस्ती: इसमें तेलों का इस्तेमाल एनीमा (क्लीन्जिंग) के रूप में किया जाता है.
4. निरूहा बस्ती: इस प्रक्रिया में काढ़ा पीकर दस्त कराए जाते हैं. जिससे शरीर की सफाई होती है.
5. नस्य कर्म: इसमें नाक के माध्यम से दवा डाली जाती है. जो शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है.
भोपाल के पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में डायबिटीज के उपचार के लिए एक शोध किया जा रहा है. इस शोध में पंचकर्म और आयुर्वेदिक औषधियों के डायबिटीज पर प्रभाव का अध्ययन किया जा रहा है. इसमें लगभग 1050 मरीजों पर शोध किया जा रहा है.
शोध के मुताबिक जिन मरीजों का ब्लड शुगर 350 था, उनके शुगर लेवल को पंचकर्म के बाद 200 तक लाया जा सका. यह शोध अगले एक साल तक चलता रहेगा. इस शोध में HBA1C की भी जांच की जा रही है. शोध में पाया गया कि जिन मरीजों का HBA1C 10 से ज्यादा था. उन पर पंचकर्म और औषधियों का प्रभाव दिखा और उनका HBA1C 6-7 तक घट गया.