Vitamin D Deficiency: भारत के लोगों के लाइफस्टाइल में काफी बदलाव हुआ है. सुबह उठने के साथ स्कूल और ऑफिस के लिए दौर शुरू हो जाती है. आपका दिन भर का समय बंद कमरे में एसी के नीचे बीतने लगा है. जिसकी वजह से विटामिन डी की कमी की समस्या काफी आम हो गई है.
विटामिन डी की कमी की समस्या को लोग अभी भी नजरअंदाज कर रहे हैं. हाल ही में ICRIER और ANVKA फाउंडेशन द्वारा किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि हर पांचवां भारतीय विटामिन डी की कमी से पीड़ित है. शोध के मुताबिक पूर्वी भारत इस समस्या से सबसे ज्यादा परेशान हैं.
डॉकटरों का मानना है कि विटामिन डी की कमी एक खामोश महामारी है. यह सिर्फ हड्डियों की समस्या नहीं है बल्कि पूरे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करती है और कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है. इसका असर सिर्फ व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर ही नहीं बल्कि पूरे देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और आर्थिक स्थिति पर भी पड़ता है. विटामिन डी की कमी से बच्चे, किशोर, गर्भवती महिलाएं और बुजुर्ग अधिक प्रभावित होते हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में विटामिन डी की कमी अधिक पाई जाती है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में यह समस्या अधिक गंभीर है. क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग खेतों में काम करते हैं, जिसकी वजह से उन्हें पर्याप्त मात्रा में धूप मिल जाती है.
विटामिन डी की कमी से न केवल हड्डियां बल्कि पूरा शरीर प्रभावित होता है. इससे बच्चों में रिकेट्स और वयस्कों में ऑस्टियोमैलेशिया जैसी समस्याएं होती हैं. इसके साथ ही मांसपेशियों में कमजोरी, थकान, मूड स्विंग और डिप्रेशन भी हो सकता है. इस कमी से हृदय रोग, मधुमेह और कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है. विटामिन डी की कमी को दूर करने के लिए सबसे पहले अपने आहार में दूध और दही का सेवन बढ़ा दें. सुबह 7 से 8 बजे के बीच धूप जरूर लें, साथ ही अपने डाइट में विटामिन डी की मात्रा बढ़ाएं. साथ अपने आसपास के लोगों को इससे अवगत कराने की जरूरत है. जिससे की इस बीमारी से निपटा जा सके.