शरीर को चलाने के लिए ऊर्जा चाहिए और भोजन से हमें ऊर्जा मिलती है। कल्पना कीजिए आपके सारे दिन के भोजन में चपाती यानी रोटी ना हो तो कैसा होगा। आपको अजीब लगेगा और पेट भी नहीं भरेगा। खासकर उत्तर मध्य और पश्चिम भारत में भोजन में मुख्य जगह रोटी सब्जी की होती है। ऐसे में अगर हम रोटी की बात करें जो आटे से बनती है, ये हमारे भोजन में अहम भूमिका निभाती है। रोटी पकाने के लिए बनने वाला आटा अनाज की श्रेणी में आता है और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद में अनाज को काफी महत्वपूर्ण कहा गया है। अनाज में शरीर को स्वस्थ रखने वाले और शरीर को ऊर्जा देन वाले मैक्रो-न्युट्रिएंट्स (कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा) और माइक्रो-न्युट्रिएंट्स (मिनरल्स और विटामिन्स) पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं।
लेकिन क्या वाकई हम सही अनाज खा रहे हैं। क्या वाकई हमारे रसोईघरों में बनने वाली रोटियां पौष्टिक आटे से बनती है। आटे की बात करें तो दुनिया भर में सबसे ज्यादा गेंहू का आटा खाया जाता है और भारत में भी इसी आटे की खपत सबसे ज्यादा होती है। गेंहू के आटे से रोटी ही नहीं, दलिया, सूजी, मैदा ब्रेड, बिस्कुट औऱ बहुत सारी चीजें बनाई जाती हैं। लेकिन जो लोग पौष्टिकता पर ध्यान दे रहे हैं और जिनको वजन कंट्रोल करना है, उन्हें केवल गेंहू के आटे की रोटी खाने की बजाय मल्टीग्रेन अनाज की रोटी खानी चाहिए, जो गेंहू की तुलना में शरीर को ज्यादा पौष्टिक तत्व प्रदान करती है।
कौन से अनाज का आटा है बेहतर
गेंहू की बात करें तो इसका आटा खाएं तो ये तभी फायदा करता है जब इसमें से चोकर ना निकाला गया हो। गेंहू के आटे को चोकर के साथ खाएंगे तो शरीर को पूरा फाइबर मिलेगा औऱ ये फायदा करेगा। अगर इसमें से चोकर निकाल दिया जाए तो इसे बनाने का प्रक्रिया में इसके सभी पौष्टिक तत्व बाहर निकल जाते हैं और इसमें केवल कार्ब्स बचता है।
जई का आटा है फायदेमंद
ओट्स यानी जई के आटे को काफी पौष्टिक कहा जाता है और इसीलिए इसे सुपर ग्रेन भी कहा जाता है। ओट्स की बात करें तो ये ढेर सारे विटामिन, खनिज और फाइबर से भरपूर होता है। जई का आटा घुलनशील फाइबर बीटा-ग्लुकान का एक शानदार सोर्स हौ और इसके सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होता है, मेटाबॉलिज्म मतेज होता है और इसकी मदद से शरीर में बैड कोलेस्ट्रोल भी कम होता है जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है। आपको बता दें कि शुगर के रोगियों के लिए भी जई के आटे की रोटी खाना काफी फायदेमंद होता है क्योंकि इसके सेवन से ब्लड शुगर तेजी से नहीं बढ़ता है।
जौ का आटा है काफी पौष्टिक
जौ के आटे की खासियत ये है कि इसमे कैलोरी और वसा कम होती हैं और फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है। इसलिए वजन कम करने के लिए इसे बेहतर कहा जाता है। जौ के सेवन से आंतों में जरूरी बैक्टीरिया का संतुलन बना रहता है। इतना ही नहीं जौ के सेवन से शुगर ब्लड शुगर को भी नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।
मक्का का आटा
मक्का का आटा फाइबर की खान कहा जाता है। इसमें फाइबर के साथ साथ कई जरूरी विटामिन, मिनरल और एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं। आपको बता दें कि कार्बोहाइड्रेट व शुगर इसमें ज्यादा होने के बावजूद ये आटा हाई ग्लाइसेमिक फूड की श्रेणी में नहीं आता है। इसलिए शुगर के मरीज इसे खा सकते हैं। इस आटे के सेवन से पित्त दोष शांत होता है और कब्ज भी सही हो जाती है।
बाजरे का आटा
बाजरे का आटा फाइबर और प्रोटीन का एक शानदार सोर्स कहा जाता है। इस आटे की मदद से मांसपेशियों को हैल्दी और मजबूत बनाया जा सकता है। इस आटे की मदद से श्वसन तंत्र हैल्दी रहता है। लेकिन इस आटे की तासीर गर्म होती है और गर्मियों में इसका ज्यादा सेवन दिक्कत करता है।
चने का आटा
चने का आटा बेसन कहलाता है। इसमें कैलोरी कम होता है और प्रोटीन ज्यादा होता है। इसके सेवन से ब्लड शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है। चने के आटे में पाया जाने वाला फोलेट दिल के रोगों के जोखिम को कम करने में मददगार सबित होता है। इसमें ढेर सारा फाइबर होता है जिससे पाचन तंत्र अच्छा होता है और कब्ज नहीं होती।
कैसे घर पर ही तैयार करें मल्टीग्रेन आटा-
मल्टीग्रेन आटा कई सारे अनाजों को मिलाकर तैयार किया जाता है और ये सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है। हालांकि बाजार में मल्टीग्रेन आटा मिलता है लेकिन आप चाहें तो घर पर ही इसे शुद्ध तरीके से तैयार कर सकते हैं। दस किलो मल्टीग्रेन आटे को तैयार करने में 6 किलो गेंहू, आधा किलो ज्वार, आधा किलो रागी, आधा किलो सोयाबीन, आधा किलो जौ , आधा किलो जई, आधा किलो चना, आधा किलो मक्का और आधा किलो बाजरा मिलाना चाहिए। इसके बाद चक्की में इन सब अनाजों को पिसवा कर चोकरयुक्त ही खाना चाहिए।