World Asthma Day 2023: आज विश्व भर में अस्थमा दिवस (World Asthma Day)मनाया जा रहा है। अस्थमा (Asthma)सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के सांस नली में सूजन होने लगती है। यह सूजन बढ़ने के बाद व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होने लगती है। आमतौर अस्थमा की बीमारी व्यस्क व्यक्ति में होती है, लेकिन आज के समय में बढ़ते प्रदूषण के कारण अब बच्चे भी इस बीमारी की जद में तेजी से आने लगे हैं। अस्थमा अटैक के दौरान बच्चों को तेज खांसी आती है, जिससे उन्हें सांस लेने और बोलने में काफी संघर्ष करना पड़ता है इसलिए डॉक्टर्स अस्थमा पीड़ित बच्चे की अतिरिक्त केयर की सलाह देते हैं। अगर समय रहते अस्थमा ट्रिगर्स को कंट्रोल ना किया जाए तो यह खतरनाक हो सकता है। इसलिए अस्थमा के लक्षणों की पहचान कर इसे कंट्रोल करने के लिए छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना होता है। अस्थमा पीड़ित बच्चों की केयर करने के लिए इन आसान टिप्स को फॉलो कर सकते हैं।
अस्थमा के लक्षण Symptoms of Asthma
बच्चों में अस्थमा के शुरुआती लक्षण पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है। अभिभावक कई बार अस्थमा को भी सामान्य सर्दी-जुकाम समझ इग्नोर कर देते हैं। हालांकि अस्थमा के कुछ ऐसे लक्षण होते हैं, जिससे आप इस बीमारी को पहचान सकते हैं। बच्चों में इन लक्षणों के दिखने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
रात के समय अधिक खांसी आना।
सांस लेते समय घरघराहट की आवाज आना।
सांस लेते समय बच्चे का पेट का सामान्य से ज्यादा हिलना।
सामान्य गतिविधि या खेलने के दौरान सांस चढ़ जाना।
खाना और पानी निगलने तकलीफ होना।
त्वचा और नाखून का रंग हल्का होना या नीला पड़ना।
अस्थमा के कारण
अस्थमा बीमारी होने के सटीक कारणों का अभी तक पता नहीं चल सका है। वैज्ञानिक इस बीमारी पर लगातार रिसर्च कर रहे हैं। हालांकि कुछ ऐसे कारणों का पता लगाया गया है, जिससे अस्थमा होने की संभावना बढ़ जाती है। जैसे- आनुवांशिक यानी पारिवार में अस्थमा का पुराना इतिहास, गर्भवस्था के दौरान महिला का धूम्रपान करना और प्रदूषित जगहों पर रहना भी अस्थमा होने का कारण बन सकता है। इसके अलावा 6 माह से छोटे बच्चों में वायरल इन्फेक्शन से भी अस्थमा होने की संभावना रहती है। आज के दौर में बढ़ता वायु प्रदूषण अस्थमा की एक मुख्य वजह बनती दिख रही है।
इसलिए खतरनाक है अस्थमा
अस्थमा अटैक को अगर समय रहते कंट्रोल ना किया जाए तो यह सांस नलिकाओं में सूजन का कारण बन सकता है। इससे पीड़ित बच्चे को सांस लेने में परेशानी होती है और बच्चा चिड़चिड़ा, असहज, थका और कमजोर महसूस करता है। वहीं, कई बार गंभीर अस्थमा अटैक होने पर यह सामान्य मेडिकेशन से काबू में नहीं आता है। ऐसी परिस्थिति में बच्चे को तत्काल इमरजेंसी मेडिकल हेल्प की जरूरत पड़ती है। ऐसे मौकों पर कई बार पीड़ित को एडमिट करने की जरूरत भी पड़ जाती है।
अस्थमा से बचाव और इलाज
बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी व्यस्क लोगों की तुलना में कमजोर होती है। ऐसे में बच्चे बदलते मौसम में अक्सर मौसमी बीमारियों के चपेट में आ जाते हैं। इसलिए बच्चों को हमेशा ठंडी हवा और प्रदूषण से बचा कर रखें। बच्चे में जब भी अस्थमा से जुड़े लक्षण नजर आए तो इल्हेलर का उपयोग करें। इन्हेलर से दी जाने वाली दवा को सबसे सुरक्षित माना जाता है। इन्हेलर के माध्यम से दवा सांस की नली के उन हिस्सों तक आसानी से पहुंचती है, जहां समस्या रहती है, इससे जल्द आराम मिलता है। अगर परेशानी ज्यादा बढ़ रही और आराम नहीं मिल रहा तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें। अस्थमा बीमारी में सही देखभाल और सही इलाज बेहद जरूरी होता है।
अस्थमा के घरेलू उपचार
कई ऐसे घरेलू उपाय भी हैं, जिन्हें अस्थमा में राहत देने के लिए कारगर माना गया है। कपूर को सरसों तेल में मिला कर छाती पर मसाज करने से सर्दी-जुकाम की जकड़न कम होती है और अस्थमा में आराम मिलता है। वहीं, शहद को सूंघने से भी गले के सूजन को राहत मिलती है। दूध के साथ हल्दी का सेवन करना भी अस्थमा की जकड़ से राहत देने का काम करता है।