Malaria Fever: विश्व भर में आज मलेरिया डे (World Malaria Day)मनाया जा रहा है। मलेरिया मच्छर जनित रोग है जो हर साल गर्मियां आते ही कहर रबरपाता है और भारत की बात करें तो यहां मलेरिया का आतंक बहुत ज्यादा देखने को मिलता है क्योंकि हर साल यहां मलेरिया के हजारों मौते हो जाती हैं। मलेरिया का मौतों का वैश्विक आंकड़ा देखें तो 2020 में दुनिया में 6,25,000 लोगों की मलेरिया बुखार के चलते मौत हो गई। हालांकि 2021 में ये आंकड़ा थोड़ा कम यानी 6,19,000 रहा। हालांकि मलेरिया के प्रति जागरुकता और इसकी दवाओं के नए डोज के चलते साल दर साल मलेरिया से मौतों में कमी आ रही है लेकिन अभी भी भारत समेत विश्व के कई बड़े देश मलेरिया फ्री नहीं हो पाए हैं। अचरज की बात है कि मालदीव और श्रीलंका जैसे देश मलेरिया फ्री देश बन चुके हैं जबकि भारत अभी भी मलेरिया से जूझ रहा है। चलिए आज जानते हैं मलेरिया के लक्षणों के बारे में, और साथ ही जानेंगे कि इस बीमारी से कैसे बचाव किया जा सकता है।
क्यों और कैसे होता है मलेरिया
मलेरिया मादा मच्छर एनाफिलीज के काटने से होता है। इस प्रजाति के मच्छर अक्सर शाम या रात के वक्त ही काटते है जिसकी वजह से मरीज को तेज बुखार आ जाता है। मलेरिया के मच्छर के काटने के बाद मरेलिया के परजीवी मरीज के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जिससे वो मलेरिया से संक्रमित हो जाता है। इसमें रोगी को तेज बुखार के साथ साथ थकान और तेज ठंड भी लगती है। आपको बता दें कि एनाफिलीज मच्छर के काटने के बावजूद मलेरिया तभी दूसरे शरीर में फैलता है जब वो मच्छर पहले मलेरिया संक्रमित रोगी के खून से संक्रमित हो चुका है। इस स्थिति को प्लास्मोडियम कहते हैं और भारत में सबसे ज्यादा मलेरिया के मामले प्लास्मोडियम संक्रमण के ही आते हैं। एनाफिलीज मच्छर किसी मलेरिया रोग से संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद किसी दूसरे व्यक्ति को काटता है तो दूसरे व्यक्ति के शरीर में भी मलेरिया के बैक्टीरिया प्रवेश कर जाते हैं और उसे मलेरिया हो जाता है। इसके अलावा मलेरिया रोगी के खून के आदान प्रदान से भी मलेरिया फैल सकता है। मलेरिया बहुत ही खतरनाक बैक्टीरिया है, अगर ये रोगी के लिवर में प्रवेश कर जाए तो कई वर्षों तक रोगी के लिवर में जिंदा रह सकता है। आपको बता दें कि मलेरिया के बैक्टीरिया फैलाने वाले परजीवी पांच प्रकार के होते हैं। 1. प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम, 2. प्लास्मोडियम विवैक्स. 3. प्लास्मोडियम ओवेल, 4. प्लास्मोडियम, 5. प्लास्मोडियम नॉलेसी।
मलेरिया के लक्षण
मलेरिया का मच्छर जब काटता है तो रोगी के शरीर में बैक्टीरिया प्रवेश कर जाता है और इसके कुछ लक्षण उभर कर आते हैं। जैसे तेज बुखार होना। इस स्थिति में रोगी को बहुत तेज बुखार होता है, बुखार 101 डिग्री से ज्यादा ही होता है। बुखार होने के साथ साथ रोगी को तेज ठंड लगती है और उसे कंपकंपी छूटने लगती है। रोगी के सिर में तेज दर्द होने लगता है। उल्टी औऱ मतली की समस्या बन जाती है। कुछ भी खाने पीने से पहले जी मतलाता है। रोगी को चक्कर आते हैं औऱ थकान होने लगती है। मलेरिया के रोगी की भूख मर जाती है, कुछ भी खाया पिया नहीं जाता। सिर दर्द के साथ साथ हाथ पैरों में भी दर्द बना रहता है। इस बीमारी में रोगी को बार बार तेज बुखार आता है और जल्दी ही उतर जाता है।
मलेरिया से कैसे करें बचाव
मलेरिया के बचाव करना हालांकि काफी कठिन होता है क्योंकि मलेरिया का मच्छर कहीं भी काट लेता है। मलेरिया का मच्छर अक्सर रात और शाम के वक्त काटता है, इस लिहाज से घर में शाम के वक्त मच्छरों का प्रवेश रोकने का प्रयास करना चाहिए। बाहर निकलते वक्त खासकर बच्चों पूरे कपड़े पहनाने चाहिए। घर के आस पास पानी को जमा नहीं देना चाहिए क्योंकि इन्हीं जगहों पर मच्छर पनपते है। ऐसे कपड़े पहनें जो आपके शरीर के अधिकतर हिस्सों को ढक रहे हों। सांयकाल के वक्त घर में ही रहने का प्रयास करें। बच्चे अगर बाहर खेलने जा रहे हैं तो मॉस्किटों जैल या ऑयल लगाकर ही बाहर भेजना चाहिए। घर में मच्छरदानी का प्रयोग करें या फिर मच्छर मारने का इंतजाम करें।