Martial Law In South Korea: राष्ट्रपति यून के इस ऐलान के बाद सियोल समेत पूरे देश में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए. नेशनल असेंबली के बाहर हजारों प्रदर्शनकारी इकट्ठा हो गए और मार्शल लॉ के विरोध में नारेबाजी की. प्रदर्शनकारियों ने संसद में घुसने की कोशिश की. जिसके परिणामस्वरूप सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं. सोशल मीडिया पर साझा की गई तस्वीरों में पुलिस अधिकारी संसद के प्रवेश द्वार पर तैनात नजर आए जबकि सैनिक राइफलों के साथ परिधि की सुरक्षा कर रहे थे.
मार्शल लॉ के लागू होने के बाद सरकार को बिना वारंट किसी भी नागरिक को गिरफ्तार करने का अधिकार मिल गया था. इसके अलावा फर्जी समाचारों और जनमत में हेरफेर को प्रतिबंधित करने की घोषणा की गई थी. जिसके बाद लोगों के बीच विद्रोह का माहौल हो गया.
राष्ट्रपति द्वारा की गई घोषणा के तुरंत बाद सियोल में आपातकालीन सत्र बुलाया गया. सत्र के दौरान इस लॉ को लेकर मतदान हुए, जिसमें 300 सांसदों ने मतदान किया. इन सभी सांसदों में करीब 190 सांसदों ने राष्ट्रपति के इस आदेश को खारिज कर दिया. इसके बाद नेशनल असेंबली के स्पीकर ने मार्शल लॉ को प्रभावी रूप से अमान्य घोषित कर दिया. इसके साथ ही संसद परिसर में तैनात सैनिकों को भी वापस बुला लिया गया.
संसद में विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति पर संविधान का उल्लंघन करने और राजनीतिक तख्तापलट की साजिश रचने का आरोप लगाया. डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने इसका विरोध करते हुए राष्ट्रपति के कदम को गैरकानूनी बताया. मार्शल लॉ को खारिज किए जाने के बाद प्रदर्शनकारियों ने संसद के बाहर जश्न मनाया और हम जीत गए के नारे लगाए. साउथ कोरियाई कानून के अनुसार यदि संसद बहुमत से राष्ट्रपति के आदेश को अस्वीकार कर देती है तो उसे तुरंत हटाना पड़ता है. राष्ट्रपति यून की पार्टी ने संसद के निर्णय के बाद मार्शल लॉ हटाने का अनुरोध किया.
अमेरिकी उप विदेश मंत्री कर्ट कैंपबेल ने राष्ट्रपति यून के इस कदम पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने साउथ कोरिया में राजनीतिक विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने और कानून के शासन को बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया. साउथ कोरिया के पूर्व विदेश मंत्री क्यूंग-व्हा कांग ने भी इस आदेश की आलोचना करते हुए इसे देश की परिस्थितियों में पूरी तरह से अनुचित बताया.
कांग के अनुसार इस कदम में कोई औचित्य और उचित प्रक्रिया नहीं थी. मार्शल लॉ की घोषणा और उसके बाद के घटनाक्रमों का साउथ कोरिया की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा. कोरियाई वॉन की वैल्यू में गिरावट आई, जो देश के आर्थिक संकट को और बढ़ा सकता है.