इस्माइली मुस्लिम समुदाय के आध्यात्मिक नेता आगा खां चतुर्थ का 88 वर्ष की आयु में निधन

पेरिस:  हार्वर्ड स्नातक के रूप में 20 साल की उम्र में ही दुनिया भर में लाखों इस्माइल मुस्लिमों के आध्यात्मिक नेता बन गए आगा खां चतुर्थ का मंगलवार को निधन हो गया. वह 88 वर्ष के थे.

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Courtesy: social media

पेरिस:  हार्वर्ड स्नातक के रूप में 20 साल की उम्र में ही दुनिया भर में लाखों इस्माइल मुस्लिमों के आध्यात्मिक नेता बन गए आगा खां चतुर्थ का मंगलवार को निधन हो गया. वह 88 वर्ष के थे.

आगा खां डवलपमेंट नेटवर्क और इस्माइली धार्मिक समुदाय ने घोषणा की कि शिया इस्माइली मुसलमानों के 49वें वंशानुगत इमाम प्रिंस करीम अल-हुसैनी, आगा खान चतुर्थ का पुर्तगाल में निधन हो गया. इस दौरान उनका परिवार साथ था.

आध्यात्मिक नेतृत्व और धर्मार्थ कार्यों में योगदान

आगा खां चतुर्थ का जीवन धर्म, समाज सेवा और परोपकार से भरा हुआ था. इस्माइली मुसलमानों के अनुयायी उन्हें पैगंबर मुहम्मद का वंशज मानते हैं. आगा खां ने न केवल धार्मिक नेतृत्व किया, बल्कि उन्होंने विकासशील देशों में अस्पतालों और स्कूलों की स्थापना के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके नेतृत्व में, आगा खां डवलपमेंट नेटवर्क ने विभिन्न धर्मार्थ कार्यों में सफलता हासिल की.

आगा खां के निधन के बाद, उनके परिवार और धार्मिक नेताओं की उपस्थिति में उनकी वसीयत पढ़ी जाएगी, जिसके बाद उनके उत्तराधिकारी का नाम सार्वजनिक किया जाएगा.

विश्वभर में शोक और श्रद्धांजलि

आगा खां की मौत के बाद, उनके अनुयायी और दुनियाभर के नेता उन्हें शांति, सहिष्णुता और करुणा का प्रतीक मानते हुए श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने उन्हें ‘‘हमारी अशांत दुनिया में शांति का प्रतीक’’ बताया। वहीं, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आगा खां को अपना ‘‘अच्छा दोस्त’’ बताते हुए शोक व्यक्त किया.

आगा खां का जीवन और योगदान

आगा खां का जन्म 13 दिसंबर 1936 को स्विट्जरलैंड के जिनेवा के पास क्रूएक्स-डी-गेंथोड में हुआ था. उन्होंने अपना बचपन केन्या के नैरोबी में बिताया. बाद में, वह लंबे समय तक फ्रांस में रहे और पिछले कुछ वर्षों से पुर्तगाल में बसे थे.

आगा खां के निधन के बाद, उनके परिवार में तीन बेटे, एक बेटी और पौत्र-पौत्री हैं. आगा खां की वसीयत के अनुसार उनके उत्तराधिकारी का चुनाव परिवार के पुरुषों में से किया जाएगा. उनकी धर्मार्थ गतिविधियों और नेतृत्व का प्रभाव सदियों तक इस्माइली समुदाय पर रहेगा.

(इस खबर को भारतवर्ष न्यूज की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)

 

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