Bangladesh Hindu Violence: बांग्लादेश में अराजकता का माहौल लगातार बरकरार है. आज बांग्लादेश की अदालत में इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन किसी भी वकील के मौजूद ना होने पर उनकी सुनवाई को अगले महीने तक के लिए टाल दिया गया. इससे पहले इस्कॉन के प्रवक्ता की ओर से यह दावा किया गया था कि मामले की सुनवाई में पक्ष रखने वाले वकील को सुनवाई से ठीक पहले इस्लामी कट्टरपंथियों ने हमला करके गंभीर रूप से घायल कर दिया .
ISCKON द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा गया कि कृपया अधिवक्ता रामेन रॉय के लिए प्रार्थना करें. उन्होंने केवल एकमात्र गलती है कि उन्होंने चिन्मय कृष्ण प्रभु का पक्ष अदालत में रखना चाहा था. जिसके बदले इस्लामवादियों ने उनके घर में तोड़फोड़ की. इतना ही नहीं उनपर बेरहमी से हमला किया गया. जिसमें वह बुरी तरह से घायल हो गए हैं. अभी उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया है. जहां वो अपनी जान के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका पर चटगांव अदालत में आज सुनवाई ना होने पर अदालत की ओर से 2 जनवरी 2025 की अगली तारीख दी गई है. बांग्लादेशी दैनिक द बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी एक रिपोर्ट के बारे में बात करें तो बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोत नाम के एक संस्थान ने आरोप लगाया है कि चिन्मय कृष्ण दास का पक्ष लेने वाले हिंदू वकीलों पर झूठे मुकदमें दायर किए जा रहे हैं. उन्हें वकालत करने से रोकने के लिए उन्हें झठे मामलों में फंसाया जा रहा है. अब तक 70 वकीलों के साथ ऐसा किया जा चुका है. जिससे की कोई वकील आगे आकर मुकदमा लड़ ही ना पाए.
Please pray for Advocate Ramen Roy. His only 'fault' was defending Chinmoy Krishna Prabhu in court.
— Radharamn Das राधारमण दास (@RadharamnDas) December 2, 2024
Islamists ransacked his home and brutally attacked him, leaving him in the ICU, fighting for his life.#SaveBangladeshiHindus #FreeChinmoyKrishnaPrabhu pic.twitter.com/uudpC10bpN
बता दें कि बांग्लादेश में लगातार माहौल बदलता जा रहा है. पहले अचानक चिन्मय कृष्ण दास को एयरपोर्ट से देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. उसके बाद फिर उनकी जमानत के लिए बहस करने वाली सरकारी वकील की हत्या कर दी गई. अब वो जब जेल में हैं तो उनकी जमानत के लिए वकालत करने वाले वकील पर हमला किया गया. इस घटना से पूरे देश के अल्पसंख्यकों के बीच डर का माहौल है. उनके द्वारा लगातार सरकार से अपनी सुरक्षा की मांग की जा रही है. हालांकि देश की सेना और सरकार दोनों ही इस मुद्दे पर काफी शांत नजर आ रही है.