Syria Civil War: सीरिया की राजधानी दमिश्क में विद्रोही गुटों की बढ़ती गतिविधियों ने सड़कों पर डर और असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है. सरकारी अधिकारियों द्वारा स्थिति पर सीमित जानकारी देने के कारण, राजधानी के निवासी शहर और देश के भविष्य को लेकर गहरी अनिश्चितता में जी रहे हैं.
विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क को घेर लिया है और राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार को उखाड़ फेंकने की तैयारी में हैं. अलेप्पो, होम्स और दारा जैसे बड़े शहरों पर पहले ही विद्रोहियों का कब्जा हो चुका है. दारा वही जगह है जहां 2011 में असद शासन के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत हुई थी.
हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) नामक विद्रोही संगठन जो उत्तर-पश्चिमी सीरिया के बड़े हिस्से पर नियंत्रण रखता है. इस संघर्ष का नेतृत्व कर रहा है. उनका लक्ष्य सीरिया में इस्लामी सरकार स्थापित करना है. एचटीएस के नेता अबू मोहम्मद अल-गोलानी ने सीरियाई सैनिकों से सरेंडर करने की अपील की है और अपने सैनिकों को संयम बरतने का निर्देश दिया है. उन्होंने यह भी दावा किया है कि सरेंडर करने वाले सैनिकों पर हमला नहीं किया जाएगा.
कहा जा रहा है कि विद्रोहियों के डर से राष्ट्रपति असद ने अपने परिवार के साथ देश छोड़ दिया है और रूस में शरण ली है. हालांकि इस दावे की पुष्टि नहीं हो सकी है. इस बीच, दमिश्क पर विद्रोहियों के बढ़ते प्रभाव से अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें सीरिया पर टिक गई हैं. 2016 में अल-कायदा से अलग होकर खुद को रीब्रांड करने के बाद, एचटीएस ने असद सरकार पर हमला करना शुरू किया. उन्होंने अलेप्पो, होम्स और दारा जैसे प्रमुख शहरों पर कब्जा कर लिया और अब दमिश्क की ओर बढ़ रहे हैं. विद्रोहियों का कहना है कि उनकी लड़ाई असद सरकार की आक्रामकता को रोकने और लोकतंत्र की स्थापना के लिए है.
सीरिया में 27 नवंबर को सेना और विद्रोहियों के बीच संघर्ष फिर तेज़ हो गया.2010 के अरब स्प्रिंग से प्रेरित होकर शुरू हुए विरोध-प्रदर्शन ने 13 सालों में एक गंभीर गृह युद्ध का रूप ले लिया. रूस और ईरान के समर्थन के बावजूद असद सरकार अब संकट में है.दमिश्क से महज 90 किलोमीटर दूर दारा पर कब्जा करने के बाद विद्रोहियों ने राजधानी को चारों तरफ से घेर लिया है. उनका दावा है कि यूएन ऑफिस और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी.