Gaza War: गाजा में इस्राइल द्वारा किए धमाके के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में संघर्षविराम आम सहमति नहीं हो पाई है. वहीं बुधवार को अमेरिका व रूस ने यूएनएससी में 2 प्रस्ताव रखे. परन्तु दोनों को खारिज कर दिया गया. अमेरिका ने जहां रूस के प्रस्ताव के खिलाफ वीटो किया. वहीं दूसरे तरफ चीन व रूस ने अमेरिका के प्रस्ताव को अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल करके खारिज कर दिया है.
बता दें कि अमेरिका ने अपने प्रस्ताव में मानवीय विराम का अवाहन किया था, किन्तु युद्धविराम का नहीं. इतना ही नहीं ये सुनिश्चित करने की बात कही कि, सुरक्षा परिषद ने पारित किसी भी प्रस्ताव में इस्राइल व गाजा में हिंसा के लिए हमास को दोषी बतलाया है. जबकि रूस का प्रस्ताव गाजा में युद्धविराम पर केंद्रित था. साथ ही स्विट्जरलैंड, माल्टा, जापान, घाना,गैबॉन,इक्वाडोर, फ्रांस, अल्बानिया,अमेरिका ब्रिटेन ने अमेरिकी प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था. इसके साथ ही ब्राजील व मोजाम्बिक ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था.
संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वासिली नेबेंज्या ने अमेरिका पर यूएनएससी के निर्णय पर रोक लगाने का प्रयास करने का आरोप लगाया है. जिससे कि गाजा पर इस्राइल के हमले पर किसी प्रकार का प्रभाव न हो. उनका कहना है कि, युद्धविराम का आह्वान करने में असफल रहने के साथ गाजा में नागरिकों पर हमलों की निंदा का जिक्र न करने के लिए अमेरिकी प्रस्ताव की बहुत आलोचना की है. जबकि इसमें पूरी तरह से राजनीति की खुशबू आ रही है. इतना ही नहीं इस दस्तावेज से बताया जा सकता है कि, गाजा में नागरिकों को बचाना नहीं, किन्तु क्षेत्र में अमेरिका की राजनीतिक हालात को मजबूत करना है.
अमेरिका का प्रस्ताव खारिज होने के उपरांत संयुक्त राष्ट्र में इस्राइल के राजदूत गिलाड एर्दान ने बताया कि, वह अमेरिका एवं इस परिषद के विभिन्न सदस्यों को मुबारक बाद देना चाहते हैं. जिनके द्वारा इस प्रस्ताव का समर्थन किया गया है. वहीं ये प्रस्ताव साफ रूप से क्रूर आतंकवादियों की निंदा करता है. साथ ही सदस्य देशों को आतंक के खिलाफ खुद को बचाने का अधिकार देता है. इतना ही नहीं ये दिखाता है कि, संयुक्त राष्ट्र के हॉल में सारे झूठों वादों के उपरांत भी ऐसे लोग हैं, जो स्वतंत्रता व सुरक्षा के शब्दों के लिए हमेशा उपस्थित हैं.