Italy News: इटली की सरकार ने अनुशासनहीन छात्रों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए उन्हें फेल करने की नीति को फिर से बहाल कर दिया है. इस नीति के तहत छात्रों का साल सिर्फ उनके व्यवहार के आधार पर भी फेल किया जा सकता है, भले ही उनकी पढ़ाई में कोई कमी न हो. यह कदम उन घटनाओं में वृद्धि के कारण उठाया गया है जिनमें छात्रों द्वारा शिक्षकों के साथ बदतमीजी और हिंसा की जा रही है.
यह नीति, जिसे "ग्रेड्स फॉर कंडक्ट" कहा जाता है, पहली बार 1924 में बेनिटो मुसोलिनी की फासीवादी सरकार द्वारा लागू की गई थी. नई शिक्षा विधेयक के तहत, जो संसद में बुधवार को पारित हुआ, मिडिल और हाई स्कूल के छात्रों को अगर आचरण में 10 में से 5 से कम अंक मिलते हैं, तो उन्हें पूरे साल के लिए फेल कर दिया जाएगा, चाहे उनकी अकादमिक परफॉर्मेंस ठीक हो.
इतना ही नहीं, हाई स्कूल के छात्रों को अगर आचरण में केवल 6 अंक मिलते हैं, तो उन्हें एक नागरिक शिक्षा (civic education) का टेस्ट देना होगा. इसके साथ ही, उनके व्यवहार के अंक उनके स्कूल छोड़ने की महत्वपूर्ण परीक्षा "मातुरिता" को भी प्रभावित करेंगे.
इटली के शिक्षा मंत्री गिउसेपे वाल्दितारा ने इस नीति के पक्ष में बोलते हुए कहा, "यह सुधार व्यक्तिगत जिम्मेदारी को पुनः स्थापित करता है, लोगों और सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान केंद्रीय बनाता है और शिक्षकों के अधिकार को फिर से बहाल करता है." इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी भी इस कदम का समर्थन करते हुए कह चुकी हैं कि यह बदलाव स्कूलों में "सम्मान वापस लाने" का काम करेगा.
इसके अलावा, स्कूल स्टाफ के खिलाफ हिंसा या आक्रामकता के मामलों में €500 से लेकर €10,000 तक के जुर्माने भी लागू किए गए हैं. यह कानून इसलिए लाया गया है क्योंकि 2023 की तुलना में इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक शिक्षकों के प्रति आक्रामक घटनाओं में 110% से अधिक की वृद्धि देखी गई है. कई मामलों में शिक्षकों को चिकित्सा सहायता की आवश्यकता पड़ी, और कुछ मामलों में हमलावर छात्र के माता-पिता थे. खासकर मोबाइल फोन के उपयोग को लेकर अक्सर छात्र और शिक्षक आपस में टकराते रहते हैं.
इटली के प्रधानाध्यापकों के संघ (ANP) ने इस कानून का समर्थन किया है. ANP के अध्यक्ष एंटोनेलो जियानेली ने इसे "एक महत्वपूर्ण कदम" बताया. उन्होंने कहा, "हमने अनुशासनहीन और असामान्य व्यवहार के बहुत सारे मामलों के बारे में सुना है. यह सही है कि छात्रों को अपने कार्यों के परिणामों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया जाए." हालांकि, छात्र संघों में इस कदम का विरोध भी हो रहा है. नेशनल स्टूडेंट यूनियन के समन्वयक टॉमासो मार्टेली ने गुरुवार को कहा कि यह कदम "एक सत्तावादी और दंडात्मक संस्कृति को मजबूत करने" की कोशिश है. उन्होंने यह भी कहा कि नियमों के उल्लंघन के लिए छात्रों को फेल करने का प्रावधान "हमारे स्कूलों में एक और दमनकारी उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है."
मुसोलिनी-युग की यह नीति 1970 के दशक के मध्य तक लागू रही थी, जिसके बाद छात्रों के विरोध के कारण इसे प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में हटा दिया गया था. इसके बाद इसे वर्षों तक संशोधित किया गया और अंततः 2000 में सभी स्कूलों से हटा दिया गया था.
हालांकि, अब इस पैकेज के साथ इसे पुनः लागू किया गया है. यह विधेयक सीनेट में पहले ही पारित हो चुका था और निचले सदन में 154 वोटों के साथ पास हुआ, जबकि 97 लोगों ने इसके खिलाफ और 7 लोगों ने मतदान से दूरी बनाई. केंद्र-वाम डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता अन्ना अस्कानी ने इस कानून की आलोचना करते हुए कहा कि यह आचरण नियम "हमें एक ऐसे समय में वापस ले जा रहा है जिसे हम भूलना चाहेंगे."