जबरन लोगों को गायब करने के पीछे शेख हसीना का हाथ? जांच आयोग ने पेश की रिपोर्ट

बांग्लादेश में गठित एक जांच आयोग ने अपने रिपोर्ट में प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी सरकार के कुछ उच्च पदस्थ अधिकारियों पर जबरन गायब किए जाने की घटनाओं में शामिल होने का आरोप लगाया है.

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Courtesy: Social Media

Bangladesh: बांग्लादेश में गठित एक जांच आयोग ने शनिवार को अपनी पहली अंतरिम रिपोर्ट पेश की. जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी सरकार के कुछ उच्च पदस्थ अधिकारियों पर जबरन गायब किए जाने की घटनाओं में शामिल होने का आरोप लगाया गया है. रिपोर्ट में रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) को भंग करने की सिफारिश भी की गई है. इस रिपोर्ट को अंतरिम प्रशासन प्रमुख और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को सौंपा गया.  

आयोग की रिपोर्ट के बाद शेख हसीना और उनकी अवामी लीग पार्टी की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. हसीना वर्तमान में भारत में हैं. अगस्त में छात्र समूहों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शनों के कारण उन्हें पद छोड़ना पड़ा था.  

इन अधिकारियों पर भी आरोप

जांच आयोग जिसका नेतृत्व सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति मैनुल इस्लाम चौधरी कर रहे हैं. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री हसीना, उनके रक्षा सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) तारिक अहमद सिद्दीकी, राष्ट्रीय दूरसंचार निगरानी केंद्र के पूर्व महानिदेशक मेजर जनरल जियाउल अहसन और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मोनिरुल इस्लाम सहित अन्य अधिकारियों पर जबरन गायब किए जाने की घटनाओं में शामिल होने का आरोप है. आयोग ने अब तक जबरन गायब किए जाने की कुल 1,676 शिकायतें दर्ज की हैं. जिनमें से 758 मामलों की जांच की जा चुकी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश में इस तरह के मामलों की संख्या 3,500 से अधिक हो सकती है.  

यूनुस सरकार ने क्या कहा?

जांच आयोग ने पाया कि जबरन गायब किए जाने की घटनाएं व्यवस्थित तरीके से की गई थीं, ताकि इनका पता न चल सके. आयोग ने मार्च 2024 तक अगली अंतरिम रिपोर्ट पेश करने और सभी शिकायतों की जांच पूरी करने के लिए एक साल का समय मांगा है. मुहम्मद यूनुस ने आयोग की रिपोर्ट के लिए सराहना व्यक्त करते हुए आश्वासन दिया कि इस काम में उन्हें हर संभव सहायता दी जाएगी. उन्होंने कहा कि वे पीड़ितों की पीड़ा को करीब से समझने के लिए गुप्त हिरासत केंद्रों और पूछताछ कक्षों का दौरा करेंगे.  

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