Israel-Hamas: देश भर में 15 मई का दिन मौजूदा फिलिस्तीनियों के लिए वर्ष का सबसे दुख भरा दिन होता है. वहीं वो इस दिन को नकबा कहते हैं. जबकि नकबा अरबी भाषा से लिया गया है, जिसका मतलब विनाश. वहीं फिलिस्तीनी लोगों का कहना है कि, ये वो दिन था, जब उनसे उनका देश व जमीन छीन कर उन्हें बेघर किया गया था. इसके साथ ही गाजा पर इजराइली सेना की कार्रवाई को फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने दूसरा नकबा करार किया है.
वहीं वर्ष 1917 की बात है कि, ब्रिटेन ने ‘बाल्फोर डिक्लेरेशन’ नाम के एक समझौते की मदद से फिलिस्तीन को बांटकर यहूदियों के लिए एक अलग देश बनाने का वादा किया था. जबकि ब्रिटेन के इस वादे का फिलिस्तीन के लोगों ने विरोध किया. मगर यह वो वक्त था जब यहूदी अपने लिए एक अलग देश की मांग कर रहे थे. वहीं डिक्लेरेशन के उपरांत ही अलग-अलग देशों से यहूदी फिलिस्तीन पहुंचकर यरुशलम व इसके नजदीक के क्षेत्रों में बसना शुरू कर दिया था.
आपको बता दें कि, यहूदी धर्म के लोगों के मुताबिक यहूदियों का पवित्र मंदिर ‘द होली ऑफ द होलीज’ इसी स्थान पर हुआ करता था. जबकि अभी के समय में वहां मौजूद ‘वॉल ऑफ द माउंट’ उसी मंदिर का अहम भाग है. वहीं यहूदी इस स्थान को अपनी मातृभूमि मानते हैं.
देश भर के यहूदी वहीं आकर बसने लगे तो साल1939 में उनके खिलाफ फिलिस्तीन में आंदोलन की शुरूआत की गई. जबकि ब्रिटिश सरकार ने फिलिस्तीनियों के इस आंदोलन को पूरी तरह से कुचल दिया गया. जिसके बाद फिलिस्तीन के लोगों की लड़ाई अंग्रेजों व यहूदियों दोनों से थी. अब हिटलर व उसकी नाजी सेना यूरोप में यहूदियों का जनसंहार करने लगी थी. जिसकी वजह से यूरोप के अलग-अलग देशों में बसे यहूदियों के लिए एक देश की आवश्यकता पड़ने लगी. इसके साथ ही न्यूयॉर्कर के अनुसार ऐसे हालात में यूरोप ने यहूदियों को बसाने की पूरी जिम्मेदारी फिलिस्तीन को दे दी. जबकि वर्ष 1945 आते-आते यहूदियों व फिलिस्तीनियों में मनमुटाव बढ़ने लगे.