New Delhi: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को G7 शिखर में पोप फ्रांसिस से मिले. पीएम मोदी ने पोप फ्रांसिस को भारत आने का निमंत्रण भी दिया. उम्मीद है कि इस बार पोप फ्रांसिस भारत के दौरे पर आएंगे. पीएम मोदी 87 वर्षीय पोप फ्रांसि से गले मिले और उनसे बातचीत करते नजर आए. पोप फ्रांसिस को पीएम मोदी ने 2016 और 2021 में भी भारत आने का निमंत्रण दिया था. लेकिन किसी कारण वश वह नही आए. इस बार भी पीएम मोदी ने इटली में G7 शिखर सम्मेलन के इतर वेटिकन के चीफ पोप फ्रांसिस को भारत आने का न्योता दिया. पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर इसके बारे में जानकारी दी है.
पोप फ्रांसिस ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता AI ऊर्जा, अफ्रीका वह भूमध्य सागर विषय पर आउटरीच सत्र में अपने संबोधन में कहा, 'AI का बेहतर प्रयोग करना हममें से प्रत्येक पर निर्भर करता है. सत्र में G7 के नेता और 'ग्लोबल साउथ' के नेता भी शामिल हुए.
पीएम मोदी ने पोप फ्रांसिस को निमंत्रण देने के बाद कहा कि वह लोगों की सेवा करने और पृथ्वी को बेहतर बनाने की उनकी प्रतिबद्धता की हम प्रशंसा करते हैं. पोप ने 7 देशों के समूह G7 में संबोधित किया. वह G7 देशों को संबोधित करने वाले पहले पोप फ्रांसिस बन गए. इसके पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय बातचीत की.
पीएम मोदी से पहले पोप से मुलाकात करने वाले भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे, अटल बिहारी वाजपेयी वर्ष 2000 में वेटिकन में जॉन पॉल द्वितीय से मुलाकात की थी. अब तक भारत में तीन बार पोप का दौरा हो चुका है. सबसे पहले भारत आने वाले पहले पोप पॉल VI थे, जो वर्ष 1964 में इंटरनेशनल यूचरिस्टिक कांग्रेस में भाग लेने के लिए मुंबई आए थे. पोप जॉन पॉल II ने फरवरी 1986 और फिर नवंबर 1999 में भारत का दौरा किया था. जबकि, पोप फ्रांसिस अब तक भारत का दौरे पर नहीं आए हैं. जबकि भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश और म्यांमार का दौरा कर चुके हैं.
सवाल ये है कि आखिर पोप को भारत आने का न्योता कितना अहम है. भारत एशिया में दुसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है. भारत में रोमन कैथोलिकों की संख्या करीब 20 मिलियन से ज्यादा है. ईसाई धर्म भारत में हिंदू वह इस्लाम के बाद तीसरा सबसे बड़ा धर्म है. फीलीपींस के बाद भारत ही एशिया का वह देश है, जहां कैथोलिकों की आबादी सबसे अधिक है. इस वजह से पोप का दौरा भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है.