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दक्षिण कोरिया में राजनीतिक उथल-पुथल तेज, राष्ट्रपति यून सुक योल गिरफ्तार

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल को गिरफ्तार कर लिया. यह गिरफ्तारी 3 दिसंबर को राष्ट्रपति द्वारा मार्शल लॉ की घोषणा से संबंधित विद्रोह के आरोपों पर आधारित थी.

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Courtesy: Social Media

South Korea President Arrest: दक्षिण कोरियाई अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक बुधवार को महाभियोग लगाए गए राष्ट्रपति यून सुक योल को गिरफ्तार कर लिया. यह गिरफ्तारी 3 दिसंबर को राष्ट्रपति द्वारा मार्शल लॉ की घोषणा से संबंधित विद्रोह के आरोपों पर आधारित थी. यून को उनके पहाड़ी आवास से गिरफ्तार किया गया, जहां वे पिछले कई हफ्तों से कांटेदार तार और निजी सुरक्षाकर्मियों के घेरे में छिपे हुए थे.

इस गिरफ्तारी की कोशिश से पहले 3,000 से अधिक पुलिस अधिकारी और भ्रष्टाचार विरोधी जांचकर्ता भोर से पहले ही घटनास्थल पर पहुंच गए थे. इस दौरान यून के समर्थक और उनकी सत्तारूढ़ पीपुल्स पावर पार्टी के सदस्य विरोध कर रहे थे और गिरफ्तारी के प्रयासों का विरोध करते हुए प्रदर्शन कर रहे थे.

गिरफ्तारी का विरोध कर रही पार्टी

यून के वकीलों ने इस गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए आरोप लगाया कि यह सार्वजनिक रूप से राष्ट्रपति को अपमानित करने के लिए की जा रही है. उनका दावा है कि राष्ट्रपति यून के खिलाफ गिरफ्तारी के लिए जो वारंट जारी किया गया है. वह किसी दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के खिलाफ जारी किया गया पहला वारंट है. गिरफ्तारी के प्रयासों के दौरान घटनास्थल पर मौजूद रॉयटर्स के एक गवाह ने बताया कि यून समर्थक प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच मामूली झड़पें हुईं, जिसमें कुछ प्रदर्शनकारी आंसू बहाते हुए विरोध कर रहे थे. 

दक्षिण कोरिया में क्यों मची हलचल?

3 दिसंबर को यून ने मार्शल लॉ की घोषणा की थी, जिससे दक्षिण कोरिया में भारी राजनीतिक हलचल मच गई थी. इस कदम ने दक्षिण कोरियाई नागरिकों को चौंका दिया और एशिया के सबसे जीवंत लोकतंत्रों में से एक को अभूतपूर्व राजनीतिक संकट की ओर धकेल दिया. 14 दिसंबर को दक्षिण कोरिया की संसद ने उन पर महाभियोग चलाने और उन्हें पद से हटाने के पक्ष में मतदान किया.

इसके अलावा संवैधानिक न्यायालय अब इस महाभियोग पर विचार कर रहा है, ताकि यह तय किया जा सके कि क्या राष्ट्रपति यून को स्थायी रूप से पद से हटाया जाए. राष्ट्रपति यून की गिरफ्तारी ने एक संवैधानिक संकट उत्पन्न कर दिया है, क्योंकि यह घटना लोकतांत्रिक शासन और न्यायिक प्रणाली पर गहरा प्रभाव डाल सकती है. अब यह देखना बाकी है कि संवैधानिक न्यायालय उनके खिलाफ महाभियोग को बरकरार रखता है या नहीं, और क्या वे अपने पद से स्थायी रूप से हटा दिए जाएंगे. 

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